नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला से जारी बयान में राज्य सरकार पर स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि आईजीएमसी के कैंसर अस्पताल में मरीजों को आवश्यक दवाएं नहीं मिल रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीज दवाओं के लिए दर-दर भटक रहे हैं, जबकि सरकार केवल घोषणाओं तक सीमित है।
जयराम ठाकुर ने कहा, “सुक्खू सरकार पहले अस्पतालों में दवाएं उपलब्ध करवाए, फिर प्रदेशवासियों को ‘घर-द्वार दवा योजना’ जैसी बातों से बहलाए।”
उन्होंने दावा किया कि हिमकेयर योजना के तहत बीमा कार्ड ब्लॉक कर दिए गए हैं और सरकार की लापरवाही के चलते कई मरीजों का इलाज बाधित हो रहा है। उन्होंने बिलासपुर में एक मरीज की मौत का हवाला देते हुए कहा कि तीन महीने तक दवाएं न मिलने के कारण उसकी जान गई, और सरकार ने मामले को दबाने की कोशिश की।
मुख्यमंत्री के इस बयान पर भी उन्होंने सवाल उठाया जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें दवाओं की उपलब्धता की जानकारी नहीं है। जयराम ठाकुर ने इसे “सतही और गैर-जिम्मेदाराना” बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर पूरी जानकारी होनी चाहिए।
उन्होंने मांग की कि सरकार इस पूरे मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करे और सुनिश्चित करे कि किसी भी मरीज का इलाज दवा के अभाव में बाधित न हो।
इसी दौरान जयराम ठाकुर ने 25 जून 1975 को लगे आपातकाल को “संविधान की हत्या” करार देते हुए कांग्रेस और इंदिरा गांधी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि “आपातकाल लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय था, जिसमें विरोधी नेताओं को जेल में डाला गया और नागरिक अधिकारों को कुचला गया।”
उन्होंने कटाक्ष किया कि “आज उन्हीं नेताओं के वंशज संविधान बचाने की बातें कर रहे हैं, जबकि असल में संविधान को सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस ने पहुंचाया है।“ जयराम ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया कि सुक्खू सरकार ने सत्ता में आते ही “लोकतंत्र प्रहरी सम्मान” को बंद करने का निर्णय लेकर आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वालों का अपमान किया।