April 24, 2025

Tag: जीवन के सबक

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“चांटा” – रणजोध सिंह की लघुकथा

जोगी उम्र के उस पड़ाव पर था जहाँ पर बच्चे सारा दिन मस्ती करने के पश्चात घर आकर माँ-बाप पर रौब जमाते हैं कि...

अपनी बोली अपनी पछ्यान: डॉक्टर जय अनजान

जिथी नी ओ कोई पुछ पछ्यान,ऊथी नी देने चैंदे ज्यादा प्राण,से जे करो सारे अपणा ही गुणगान,तिसरे पाओ जुकी जुकी ने बछ्यान।जेड़ा चलाओ अपणा...

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