“चांटा” – रणजोध सिंह की लघुकथा
जोगी उम्र के उस पड़ाव पर था जहाँ पर बच्चे सारा दिन मस्ती करने के पश्चात घर आकर माँ-बाप पर रौब जमाते हैं कि...
अपनी बोली अपनी पछ्यान: डॉक्टर जय अनजान
जिथी नी ओ कोई पुछ पछ्यान,ऊथी नी देने चैंदे ज्यादा प्राण,से जे करो सारे अपणा ही गुणगान,तिसरे पाओ जुकी जुकी ने बछ्यान।जेड़ा चलाओ अपणा...