February 23, 2025

Tag: पितृवत समाज

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बेटी :डॉo कमल केo प्यासा द्वारा त्याग और सहनशीलता की कविता

बेटीचूल्हा चौकाघर आंगनभाई बहिनसब देखती थी,सियानी हुईबेगानी इमानतकह ,विधा हुई !घर छूटाछूटे सभी अपनेबिखर गए सपनेनए रिश्तों मेंबेचारी जकड़ी गई !बेटीबनी दुल्हनबहू कहलाई,निभाती रही...

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