November 13, 2025

Tag: भय

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बूंद-बूंद को तरसेंगे: भीम सिंह नेगी

बरखा रानी रूठ गई हैधरती तपन असहाय।चमकते सूरज से लग रहाआज हर हृदय को भय।। फसलें पानी मांग रही हैंसूखे नदी तालाब।सर्द मौसम की यह...

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