March 10, 2025

Tag: मौसम

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चम्मचे (चम्मचों की कारगुजारी): डॉo कमल केo प्यासा

चापलुसियो की ही खाते हैं चम्मचे !चम्मचागिरी मेंअव्वल होते हैंचम्मचे!दुवा सलाम करते नहीं थकते चम्मचे!कभी रूठ जाते कभी मान जाते हैंचम्मचे !फिर भी चिपके...

बूंद-बूंद को तरसेंगे: भीम सिंह नेगी

बरखा रानी रूठ गई हैधरती तपन असहाय।चमकते सूरज से लग रहाआज हर हृदय को भय।।फसलें पानी मांग रही हैंसूखे नदी तालाब।सर्द मौसम की यह...

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