जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह
सारा पंडाल दर्शकां या फेरी भक्तजना ने पुरी तरह भरीरा था| स्वामी जी चिट्टे कपड़े पैनी ने, मथे पर चंदन-रोलीया रा टीका लगाई ने...
डॉo कमल केo प्यासा की कविताएँ: भावनाओं का सफर
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासाहिलोरेजीवन चक्र केझूले में,झूल हर कोई हिलोरे लेता है।कोई कमकोई अधिक,बस अपने कर्मों काफल वसूल लेता है...
पेट : डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासापेट की जात नहींपात नहीं,रंग भेद की बात नहींबाहर भीतर दांत नहींइतना सा पेट,इतना खाता इतना खातासारा...
जिंदगी एक गीत है
जिंदगी एक गीत है जिसे गाते ही चले गएकिसी को याद किया तो किसी को भुलाते ही चले गए ।हम क्या कुछ पाते हैं...