आदमी : आदमी का रूपांतरण
पत्थरों के इस शहर में,मिट्टी गारा धूल फांकते फांकतेभूख इतनी बड़ी,हरियाली गुल हो गई,जंगल के जंगल निगल गया आदमीपत्थरों के कारोबार में,पत्थरों को तोड़ते...
हाथ : डाॅ० कमल के॰ प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासाकटे फटे काले काले,मैले कुचैलेनन्हें नन्हें हाथ !पेट की खातिर जीतेपेट की खातिर मरते।जिधर चाहो लग जाते,गंदगी,मैला,गंध...