विश्व हिंदी दिवस – डॉo कमल केo प्यासा

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डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा

संस्कृत जनित भारोपिय हमारी मातृ भाषा हिंदी ,आज कहां से कहां जा पहुंची है देख सुन कर गर्व होता है। विश्व भाषाओं की चर्चा करने से पता चलता है कि अंग्रेजी और चीनी भाषा के पश्चात हमारी हिंदी भाषा विश्व में तीसरे स्थान पर आ गई है। क्योंकि हमारी हिंदी में हर अक्षर कि अपनी ही विशेष ध्वनि मिलती है ,जो कि किसी दूसरी भाषा में नहीं है।

बहुत पहले ,यह वर्ष 1918 की बात है ,जिस समय एक हिंदी साहित्य सम्मेलन के दौरान महात्मा गांधी ने आम लोगों की बोली जाने वाली भाषा को देखते हुवे कहा था कि हिंदी हमारी राज भाषा होनी चाहिए ।स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात बाद 14 सितंबर 1949 को सविधान सभा में आम राय के साथ यह निर्णय लिया गया कि हिंदी केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा रहे गी (क्योंकि अधिकतर यही सभी जगह बोली जाती है।)

इसके साथ ही साथ इसे राजभाषा भी बनाने को कहा गया और लिपि देवनागरी राखी गई। फिर इसके प्रचार प्रसार के लिए वर्ष 1953 से समस्त देश में 14 सितंबर का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। कुछ एक अहिंदी क्षेत्र के लोगों ने इसका विरोध भी किया तथा इसके स्थान पर अंग्रेजी को राजभाषा बनाने को कहा, परिणाम फलस्वरूप अंग्रेजी को भी साथ चलाना पड़ गया जिससे राजभाषा हिंदी पर भारी असर पड़ा और कई एक अंग्रेजी के शब्द इसमें शामिल होते चले गए।

विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत प्रथम हिंदी दिवस के रूप में वर्ष 1975 में 10 जनवरी को प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा नागपुर में मना कर की गई थीं और उस समय इसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इसके पश्चात वर्ष 2006 में प्रधान मंत्री सरदार मनमोहन के समय इसकी औपचारिक घोषणा कर दी गई तथा तब से विश्व हिंदी दिवस हर वर्ष 10 जनवरी को मनाया जा रहा है। हिंदी दिवस के दिन ,हिंदी के प्रचार के साथ ही साथ कई प्रकार की हिदी प्रतियोगिताएं जिनमें वादविवाद,भाषण,निबंध व श्रुत लेखन प्रतियोगिताएं आदि शामिल रहती हैं।

कुछ एक प्रतिभागियों को हिंदी में किए विशेष कार्यों के लिए ,सम्मान दे कर सम्मानित भी किया जाता है। इस प्रकार हिंदी प्रतियोगिताओं को सुचारू रूप से करने के लिए यह आयोजन एक सप्ताह तक चलता है। इन्हीं कार्यकर्मों के फलस्वरूप आज हिंदी का सभी ओर भारी प्रचार प्रसार हो रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार आज 150 से अधिक देशों में हिंदी बोली जाती है। 200 विश्वविद्यालयों में इसे पढ़ाया जा रहा है। वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस संस्करण 22 के अनुसार ,आज विश्व में 70 करोड़ लोग हिंदी भाषी हैं। 132 देशों में रह रहे 2 करोड़ भारतीय हिंदी में ही अपना सारा कार्य करते हैं। विदेशों से ही 25 से अधिक हिंदी की पत्र पत्रिकाएं प्रकाशित हो रहीं हैं।

प्रसारण में यू ए ई का हम एफ एम,बी बी सी लंदन,जर्मन का डाचेस वेले,जापान का एन एच के वर्ल्ड,चीन का चाइनीज रेडियो तथा रूस का रेडियो मास्को हिंदी के कार्यक्रमों के साथ ही साथ हिंदी के गानों का भी प्रसारण करते हैं। इस तरह देखा जाए तो आज हिन्दी 10 शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। 25 देशों में बोली जा रही है और यह एशियाई संस्कृति में अपनी विशिष्ट भूमिका के कारण एशिया की प्रतिनिधि भाषा बन गई है। राजभाषा होने के कारण ही आज 11 राज्यों व 3 संघ शासित क्षेत्रों की प्रमुख राज भाषा है,तभी तो इसे वैश्विक स्तर पर लाने के लिए ही हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस व 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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