कीकली रिपोर्टर, 3 दिसंबर, 2018, शिमला
आमजन के बीच साहित्य: शिमला जिले के दूरदराज गाँव कुठाड पहुंचे २० साहित्यकार: राजा बलि की राजधानी बलग में किया ग्रामीणों ने भव्य स्वागत लेकिन ऐतिहासिक मन्दिर में प्रवेश से कर दिया इंकार
लेखकों ने हिमाचल सरकार से की बलग मन्दिर के सरकारीकरण और पुरातत्व विभाग के अधीन करने की मांग
शिमला से कुठाड तक की 70 किलोमीटर यात्रा में लेखकों के भ्रमण और साहित्य संवाद का पहला चरण बलग गाँव था I रितेश रियासत और राजा बलि की राजधानी बलग में ग्रामीणों ने लेखकों का जलपान से बढ़िया स्वागत तो किया जिसमें बुजुर्गों से लेकर हर उम्र के लोग शामिल हुए और उनसे तक़रीबन एक घंटे तक विविध समस्यों, बलग गाँव की ऐतिहिसिक पृष्ठभूमि और उपलब्ध सुविधाओं को लेकर तक़रीबन एक घंटे तक चर्चा चली लेकिन अपने नियमों की दुहाई देकर मन्दिर में लेखकों को प्रवेश नहीं करने दिया गया जिससे लेखक दसवीं शताब्दी में निर्मित इस शिखर शैली के भव्य मन्दिर के दर्शन नहीं कर पाए I मन्दिर के मुख्य गेट पर पहले ही ताला लगा दिया गया था I जब इसकी वजह पूछी गयी तो ग्रामीणों ने रीती रिवाजों और नियमों की दुहाई देकर बताया कि मन्दिर में प्रवेश बंद कर दिया गया है I सभी लेखकों ने एक स्वर में प्रदेश सरकार से निवेदन किया कि इस भव्य ऐतिहासिक मंदिर परिसर को तत्काल सरकार अपने अधीन लेकर पुरातत्व विभाग को सौंप दे ताकि यह परिसर पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित हो सके I कुछ स्थानीय लोगों से रह चलते जब मंच के अध्यक्ष एस आर हरनोट ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि इस परिसर में दलितों को भी प्रवेश नहीं करने दिया जाता I लोगों का कहना था कि एकादशी मेले में मन्दिर के भीतर दर्शन किये जा सकते हैं I
इस साहित्य यात्रा का मुख्य चरण शिमला की बलसन रियासत का दूरदराज गांव कुठाड़ था जहाँ २० लेखकों कीसे किसानों से विस्तृत चर्चा के बाद साहित्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें ग्रामीणों ने भी पहाड़ी गीत और कवितायेँ सुनाकर अपनी भागीदारी सुनिश्चित की I गोष्ठी में हिंदी और पहाड़ी कविताओं के साथ गजलों और कहानी का भी ग्रामीणों ने आनंद लिया I कुठार गाँव के निवासी सुरेन्द्र सिंह बनोलटा, अध्यक्ष, हिमाचल कृशक किसान सभा और कुठार हरिजन विकास सभा और सामुदायिक रेडियो के संस्थापक-संचालक ने अपने निवास पर इस गोष्ठी का आयोजन और लेखकों का शानदार तरीके से स्वागत और आतिथ्य किया I उनके अनुरोध पर प्रख्यात लेखक एस आर हरनोट ने अपनी बह्बुचार्चित कहानी “माँ पढ़ती है” का पाठ किया I
सामुदायिक रेडिओ के संचालक बनोलटा ने लेखकों का स्वागत करते हुए इस आयोजन को इस दृष्टि से ऐतिहासिक करार दिया कि ग्रामीणों के बीच उनके जीवन में यह पहली गोष्ठी है जिसमे लोगों ने लेखकों को पहली बार अपनी कहानियां और कवितायेँ पढ़ते सुना I उन्होंने विस्तार से अपने कार्यों की जानकर भी दी कि वे कई बरसों से किसानों के प्रदेश और देश भर में ओरगेनिक खेती को लेकर भ्रमण और कैंप आयोजित करवाते रहे हैं और अपने तथा आसपास के गाँव में भी ओरगेनिक खेती की जा रही है I इसी दृष्टि से किसानों को जागरूक करने के लिए उन्होंने सामुदायिक रेडिओ की स्थापना अपने निजी संसाधनों से कर्ज ले कर की है जबकि केंद्र सरकार के प्रावधानों के अनुसार उन्हें मदद मिलनी शेष हैं जिसके लिए वे कई सैलून से संघर्ष कर रहे हैं I
प्रख्यात लेखक हरनोट ने कार्यक्रम की रूपरेखा साझा करते हुए बताया कि वे लेखकों के सहयोग से पिछले एक साल से साहित्य को आमजन तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं और यह यात्रा और गोष्ठी भी उसी कड़ी में शामिल हैं I उन्होंने जानकारी दी कि इससे पूर्व हिमालय मंच ने स्वन्त्रत रूप से जहाँ बहुत से आयोजन किये वहां शिमला की नवल प्रयास संस्था के साथ मिलकर कालका शिमला भलकू स्मृति साहित्य यात्रा, भलकू के गाँव झाझा और शिमला की जुन्गा पंचायत में I साहित्य संवाद और गोष्ठी, कंडा जेल में ५०० कैदियों के मध्य काव्य सम्मलेन, शिमला के सुन्नी कोल्लागे में साहित्य उत्सव में भागीदारी और तारादेवी लोकनिर्माण विभाग की कार्यशाला में कामगारों के बीच संगोष्ठी जैसे बड़े आयोजन किये हैं I इन गोष्ठियों का उद्देश्य साहित्य को आमजन के बीच ले जाना और सरकारी सभागारों से इतर आयोजन करना भी है I लेखकों का आमजन विशेष कर किसानों, मजदूरों और प्रकृति के मध्य जाकर सीधा संवाद रचनाओं में और जयादा विश्वसनीयता भी लाता है I इस यादगार गोष्ठी में स्थानीय पंचायत प्रधान सरस्वती चौहान उप प्रधान भी उपस्थित रहे I लेखों ने सामुदायिक रेडियो स्टेशन के पुस्तकालय को अपनी किताबें भी भेंट की I संगोष्ठी में शामिल लेखकों में आत्मा रंजन, राकेश कुमार सिंह, रोशन जसवाल, सीता राम शर्मा, कंचन शर्मा, कल्पना गांगटा, उमा ठाकुर, भारती कुठियाला, मोनिका छट्टू, दीप्ति सारस्वत, नरेश देयोग, धनंजय सुमन, अश्विनी कुमार, संतोष शर्मा, भूप रंजन, मधु शर्मा, धनंजय सुमन, कुलदीप गर्ग तरुण, पोरस ठाकुर, अश्वनी कुमार, वेद ज्योति चंदेल शामिल रहे I सुरेन्द्र सिंह बनोलटा जी ने मीठी आवाज में झुरी सुनाई और स्थानीय ग्रामीण लायक राम ने नातियों से समा बांधा रहे ।