कीकली ब्यूरो, 27 नवंबर, 2019, शिमला

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश की शिक्षा व्यवस्था को 21वीं सदी के अनुरूप बनाने के लिए उच्च शिक्षा को नए सिरे से विकसित करने तथा भारत को शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व का केंद्र बनाने का आह्वान किया है। श्री कोविंद ने बुधवार को यहां फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स (फिक्की) के 15 वे अंतर-राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए यह आह्वान किया। सम्मेलन में 76 देशों के 1500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं जिनमे 350 से अधिक विदेशी प्रतिनिधि हैं। सम्मेलन में उच्च शिक्षा सं संबंधित 160 प्रदर्शनियां लगाई गई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत मे उच्च शिक्षा का पुराना इतिहास है और नालंदा विश्विद्यालय के रूप में दुनिया का सबसे पुराना विश्विद्यालय रहा है जहां एशिया के दस हज़ार छात्र पढ़ते थे। आज पूरी दुनिया मे शिक्षा की सबसे बड़ी व्यवस्था भारत मे है लेकिन 21 वीं सदी की जरूरतों को देखते हुए उसमे आमूल चूल परिवर्तन लाने की जरूरत है और इसके लिए नवाचार आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और अंतर अनुशासन के विषयों को एक साथ पढ़ाने एवं पाठ्यक्रमों में परिवर्तन करने की आवश्यकता है।

उन्होंने भारत को दुनिया मे शोध एवं अनुसंधान का केंद्र बनाने की भी अपील की। राष्ट्रपति ने उच्च शिक्षा के विकास के लिए उद्योगपतियों से फंड जुटाने की अपील करते हुए दिल्ली आईआईटी में पूर्व छात्रों के कोष का जिक्र किया।

उन्होंने बताया कि किस तरह इन पूर्व छात्रों ने 250 करोड़ रुपये का कोष बना लिया है और उसका लक्ष्य एक अरब डॉलर करने का है। राष्ट्रपति ने देश की अर्थव्यस्था को मजबूत बनाने के लिए उच्च शिक्षा के इस्तेमाल पर बल देते हुए कहा कि आधुनिक टूल्स के जरिये उच्च शिक्षा को कौशल विकास उद्यमशीलता उद्योग जगत के साथ प्रशिक्षण कार्य और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को अपनाना होगा।

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