January 3, 2025

ग्रामीण समाज के भीतर लेखकीय सरोकार की अनूठी यात्राएं

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बाबा भलखू को विनम्र श्रद्धांजलि

कीकली रिपोर्टर, 2 सितम्बर, 2018, शिमला

यादगार रहेंगे अनपढ़ इंजिनीयर बाबा भलखू स्मृति के बहाने सफल साहित्यिक रेल और ग्रामीण आयोजन।

बाबा भलखू को विनम्र श्रद्धांजलियूं तो एस आर हरनोट हिमाचल में ही नहीं, देश और विदेशों तक साहित्य में चर्चित नाम है लेकिन अपनी संस्था हिमालय साहित्य संस्कृति मंच के बैनरों में बिना सरकारी सहायता के अपने साधनों और लेखकों के सहयोग से विविध साहित्यिक आयोजनों के लिए भी जाने जाते हैं। हमने देखा है कि वे आए दिनों कोई न कोई नया काम हिमाचल के ही नहीं बल्कि देशभर से शिमला आने वाले लेखकों के साथ मिलकर करते रहते हैं। उन्होंने हमेशा अति वरिष्ठ और युवा तथा नवोदित साहित्यकारों को मंच ही नहीं प्रदान किया बल्कि उन्हें सम्मानित भी करते रहे हैं।

शिमला बुक केफे जब गत वर्ष खुला तो वहां हरनोट ने देशभर से लेखकों से न केवल किताबें एकत्रित कर भेंट की बल्कि यहां साप्ताहिक गोष्ठियों का आयोजन भी शुरू किया। बुक केफे का संचालन कंडा और कैथू जेल के इनमेटस करते हैं जो अपने आप में एक मिसाल है। इस बार उन्होंने शिमला की एक अन्य संस्था नवल प्रयास को अपने साथ जोड कर जो आयोजन किए वे बरसों-बरसों याद किए जाएंगे। इनमें जेल के पुलिस महा निदेशक सोमेश गोयल के साथ कंडा जेल में  नेलसन मंडेला दिवस पर साहित्यिक गोष्ठी, शिमला-कालका विश्व धरोहर रेलवे में इस रेल के सर्वेक्षक अनपढ़ इंजीनियर बाबा भलखू की स्मृति में 19 अगस्त को 30 लेखकों के साथ आयोजित साहित्य यात्रा अभूतपूर्व थी जिसकी पूरे देश में चर्चा हुई है और उसके बाद बाबा भलखू के पुश्तैनी गांव झाझा की साहित्य सृजन यात्रा भी I

इन आयोजनों की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि साहित्य सरकारी सभागारों से बाहर निकल कर अपने पैरों पर चल पड़ा और लेखकों ने आपसी सहयोग से साहित्य को ग्रामीण सरोकारों से जोड़ने का अभूतपूर्व प्रयास किया और कार्यक्रम आयोजित किए जो एक मिसाल बन कर रह गए।

बाबा भलखू को विनम्र श्रद्धांजलिशिमला-कालका रेल में इस अनूठे साहित्यिक संवाद को बाबा भलखू साहित्य संवाद रेल यात्रा का नाम दिया गया । महज आठ-आठ सौ रूपए प्रति लेखक लेकर इस यात्रा की सहभागिता रही। इसके अतिरिक्त पुलिस महा निदेशक व लेखक सोमेश गोयल का भी लेखकों को पूरा सहयोग मिला। प्रदेश से ही नहीं बल्कि देश भर के लेखकों ने सहर्ष इस यात्रा में आने की इच्छा जाहिर की लेकिन स्थानाभव के कारण केवल 30 स्थानीय लेखकों का ही आरक्षण हो पाया।

यात्रा 19 अगस्त, 2018 को शिमला रेलवे स्टेशन से 10-25 पर प्रारम्भ हुई। इस यात्रा में साहित्य के सत्र शिमला से बड़ोग तक रेलवे स्टेशनों के नाम से तय किए गए थे। जिनमें शिमला, समरहिल, कैथलीघाट, सलोगड़ा, सोलन और बड़ोग। यात्रा शुरू होने से दो दिनों पहले पूर्व प्रधान मन्त्री और कवि अटल बिहारी वाजपेयी जी का देहान्त हो गया। इसलिए यात्रा के सत्रों में थोड़ा परिर्वतन किया गया और पहला सत्र उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में आयोजित हुआ। उसके बाद संस्मरण, लघु कथाएं, व्यंग्य, कहानी और कविता के सत्र यथावत आयोजित हुए। 30 लेखक जब बड़ोग स्टेशन पर पहुंचे तो यह देखकर अचम्भित थे कि वहां असंख्य लोग हाथ में फूल मालाएं लेकर लेखकों का स्वागत कर रहे थे। यह दृश्य सचमुच भावविभार कर देने वाला था।

उनके स्वागत में स्वयं कैथलीघाट और बड़ोग के रेलवे अधिकारी तो थे ही बल्कि सोलन से लेखक, पत्रकार, रंगकर्मी और बहुत से प्रतिष्ठित लोग शामिल थे। कैथलीघाट रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर संजय गेरा तो पूरी यात्रा में साथ रहे। जेल ट्रैक की सम्पूर्ण जानकारी  सुमित राज देते रहे। लेखकों ने बड़ोग में रेलवे कण्टीन में दोपहर का भोजन लेकर फिर शिमला के लिए कालका-शिमला रेल में यात्रा शुरू की और पुनः कहानियों, कविताओं, संस्मरणों और गजलों का दौर चला। आखरी सत्र महिला लेखिकाओं के लिए विशेषतौर पर उनके रचनापाठ के लिए समर्पित किया गया।

बाबा भलखू को विनम्र श्रद्धांजलिइस यात्रा में जो लेखक शामिल रहे वे हैं – एस आर हरनोट, विनोद प्रकाश गुप्ता, डॉ0 हेमराज कौशिक, डा0 मीनाक्षी एफ पाल, आत्मा रंजन, सुदर्शन वशिष्ठ, डा0 विद्या निधि, कुल राजीव पंत, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, राकेश कुमार सिंह, सतीश रत्न, सीता राम शर्मा, दिनेश शर्मा, डॉ0 अनुराग विजयवर्गीय, शांति स्वरूप शर्मा, कौशल मुंगटा, अंजलि दीवान, उमा ठाकुर, प्रियंवदा, वंदना भागड़ा, रितांजलि हस्तीर, अश्विनली कुमार, कल्पना गांगटा, वंदना राणा, सुमित राज, निर्मला चंदेल, पौमिला ठाकुर, संजय गेरा।

इस यात्रा का दूसरा चरण लेखकों ने 2 सितम्बर, 2018 को बाबा भलखू के पैत्रिक गांव झाझा में पूर्ण किया जिसमें 21 लेखक और बहुत से ग्रामीण शामिल हुए। लेखकों ने यात्रा की शुरूआत न्यू शिमला बी सी एस से 9-30 बजे की। यात्रा का पहला पड़ाव ऐतिहासिक जुनगा गांव था जो क्योंथल रियासत की राजधानी भी रही है। यहां ग्राम पंचायत जुनगा की प्रधान अंजना सेन ने लेखकों के स्वागत और साहित्य सृजन संवाद का पंचायत घर में आयोजन किया जिसमें तकरीबन 90 महिलाएं और पुरूष शामिल हुए। यह पंचायत और महिला मंडल ने संयुक्त रूप से आयोजित किया। उनके सहयोगी रहे बीडीसी की सदस्या सीमा सेन, उप प्रधान मदन लाल शर्मा, हिमाचल पर्यटन निगम के पूर्व सहायक महा प्रबन्धक देवेन्द्र सेनए महिला मंडल की प्रधान आशा कौंडल और अन्य पंचायत के सदस्य। लेखकों ने पंचायत प्रधान और उपस्थित आमजनों से किसान जीवन को लेकर भी संवाद किया। उन्होंने बहुत सी योजनाओं का ब्यौरा लेखकों से सांझा किया। लेखकों ने भी कृषि, पशु पालन और अन्य जन साधारण की सुविधाओं के संदर्भ में लोगों से विस्तृत चर्चा की।

बाबा भलखू को विनम्र श्रद्धांजलिकवि गोष्ठी और लोक संगीत का मिलाजुला कार्यक्रम तकरीबन दो घण्टों तक चला। जुनगा पुलिस ट्रैनिंग सैन्ट्र की पुलिस कर्मी और स्थानीय निवासी संतोष डोगरा और आशा कौंडल ने लोकगीतों से समा बांध दिया। संतोष ने गीत गाने से पूर्व जब एस आर हरनोट पर ही एक कविता पढ़ी तो सभी का चकित होना स्वभाविक था। गोष्ठी 11 बजे से 1 बजे तक चली।

पंचायत प्रधान अंजना सेन ने लेखकों का स्वागत और आभार प्रकट करते हुए इस अनूठी गोष्ठी और यात्रा की सराहना की और लेखकों को अक्तूबर में एक अन्य गोष्ठी के लिए आमंत्रित किया। देवेन्द्र सेन ने भी लेखकों के सम्मान में संबोधन किया। सुदर्शन वशिष्ठ ने जुनगा से अपने आत्मीय रिश्तों के बारे में प्रकाश डाला। वहीं नवल प्रयास के अध्यक्ष विनोद प्रकाश गुप्ता ने भी अपनी सेवा के दौरान जुनगा से रहे अपने सम्बन्धों के बारे में जिक्र करते हुए पंचायत का इस आयोजन के लिए आभार प्रकट किया।

बाबा भलखू को विनम्र श्रद्धांजलिहिमाचल मंच के अध्यक्ष एस आर हरनोट ने इस यात्रा के प्रयोजन पर विस्तार से जहां प्रकाश डाला वहां पंचायत और स्थानीय लोगों के साथ इस आयोजन को अनूठा करार दिया। उन्होंने कहा कि इसके बाद लेखक इस तहर की साहित्यिक यात्राएं जारी रखेंगे जो दूर दराज के गांव के लिए वहां के स्थानीय लोगों से सीधा संवाद स्थापित करने की दृष्टि से लेखकों की आपसी सहभागिता से ही होगी। इसके बाद जुनगा के राजा विक्रम सेन ने लेखकों का अपने कलात्मक महल जुनगा में स्वागत किया और लम्बी बातचीत हुई।

बाबा भलखू को विनम्र श्रद्धांजलिराजा जुनगा की पुश्तैनी लाईब्रेरी पुरानी और नयी पुस्तकों से सम्पन्न है जिसमें कई हजार हस्तलिखित पांडुलिपियां टांकरी और अन्य भाषाओं की मौजूद हैं जहां तक कोई सरकारी विभाग अभी तक नहीं पहुंच पाया। महल में कई कलात्मक और पुरातात्विक वस्तुओं का बड़ा संग्रह है। इतिहास के शोध छात्र यहां अध्ययन के लिए आते रहते हैं।

इस यात्रा का दूसरा पड़ाव चायल स्थित झाझा गांव था। लेखकों के इंतजार में शिमला आकाशवाणी से सेवानिवृति वरिष्ठ लेखक व रंगकर्मी बी आर मेहता जी और चायल एकांत रीट्रीट के मालिक व स्थानीय निवासी देवेन्द्र वर्मा व अन्य ग्रामीण पहले से ही मौजूद थे। लेखकों के आतिथ्य का कार्यभार देवेन्द्र वर्मा जी ने संभाल रखा था। इसके बाद लेखकों ने बाबा भलखू के पुश्तैनी घर का भ्रमण किया और काफी समय उनके परिजनों के साथ व्यतीत किया। भलखू परिवार के वरिष्ठ सदस्य पोस्ट आफिस से सेवानिवृत दुर्गादत ने लेखकों को भलखू के चित्र और बहुत से दस्तावेज दिखाए जो अंग्रेजो ने भलखू के सम्मान में दिए थे। बी आर मेहता जो बाबा भलखू समिति के अध्यक्ष भी हैं उन्होंने भी बहुत सी बातें उनके बारे में बताई और उनकी स्मृति में किए गए कार्यों का ब्यौरा भी लेखकों को दिया।

झाझा में एक मात्र भलखू का ही घर है जो अपनी प्राचीनता को बरकरार रखे हुए है। धज्जी दीवाल और पत्थर की छत और बरामदे वाले इस दो मंजिला भवन का पुरातन सौन्दर्य देखते ही बनता है।  इसकी धरातल मंजिल में गौशाला और भंडार है जबकि दूसरी मंजिल, जहां भलखू खुद रहते थे, अपने रहन सहन के लिए हैं।

साहित्य गोष्ठी का आयोजन युवा कृषक सुशील ठाकुर ने अपने निवास पर किया। उनका सहयोग उनकी धर्मपत्नी रमा ठाकुर ने दिया जो हिमाचल न्यूज का संचालन करती है। लेखकों के स्वागत में सुशील जी के मित्र व आभी प्रकाशन के संचालक जगदीश हरनोट विशेष रूप से झाझा पहुंचे थे। यहां जलपान के साथ काव्य गोष्ठी लगभग दो घण्टे चली। जुनगा और झाझा की इन गोष्ठियों को सफल संचालन युवा चर्चित कवि आत्मारंजन ने किया।

तीन लेखकों एस आर हरनोट, दिनेश शर्मा और मोनिका छट्टु ने बाबा भलखू को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए कविताएं पढ़ीं जो बहुआयामी अर्थों को लिए हुए थी। बी आर मेहता के साथ जिन अन्य लोगों ने कविताओं का पाठ किया उनमें विनोद प्रकाश गुप्ता, सुदर्शन वशिष्ठ, कुल राजीव पंत, अश्विनी गर्ग, सतीश रत्न, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, राकेश कुमार सिंह, नरेश दयोग, शांति स्वरूप शर्मा, कुशल मुंगटा, कल्पा गांगटा, उमा ठाकुर, धनंजय सुमन शामिल थे। इस यात्रा में जहां सोलन से वरिष्ठ लेखक रत्न चंद निर्झर शामिल रहे वहां शिमला भ्रमण के लिए आए बनारस के युवा शोध छात्र व कवि कुमार मंगलम भी भागीदार रहे जिन्होंने भी कविता पाठ किया।

लेखकों ने झाझा गांव में एक प्रस्ताव भी पारित किया जिसमें केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार से मांग की गई कि शिमला कालका रेल लाइन को चायल झाझा गांव तक ले जाया जाए, उनके पुश्तैनी मकान को धरोहर भवन के रूप में सुरक्षित किया जाए और झाझा गांव को भी धरोहर गांव के रूप में विकसित किया जाए। साथ ही चायल में स्थित भलखू पार्क को उनके धरोहर दस्तावेजों को सुरक्षित रखते हुए उसका सौन्दर्य करण किया जाए। आयोजन की समाप्ति पर विनोद प्रकाश गुप्ता और एस आर हरनोट ने इस यात्रा में शामिल लेखकों का और समस्त ग्रामीणजनों का आभार व्यक्त किया।

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Keekli Bureau
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