जिला शिमला में 34 बच्चों को सरकार की फोस्टर केयर योजना का लाभ दिया जा रहा है। यह जानकारी उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने आज जिला बाल संरक्षण इकाई की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 2500-2500 रूपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता राशि प्रदान की जा रही है, जो बच्चे के 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक जारी रहती है। बैठक में जिलाधीश ने कहा कि जिला शिमला में कोविड-19 वायरस के कारण कोई भी बच्चा अनाथ नहीं हुआ है जबकि इस महामारी के चलते जिला के 81 बच्चों ने अपने माता या पिता में से किसी एक को खोया है। उन्होंने कहा कि जिला शिमला में 9 बाल-बालिका आश्रम, एक विशेष एडॉप्शन एजेंसी तथा एक संप्रेक्षण गृह है, जहां पर 350 बच्चों को आश्रय प्रदान किया जा रहा है। इन संस्थानों में बच्चों को नियमानुसार सभी सुविधाएं प्रदान की जा रही है तथा इन संस्थानों की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है।
उपायुक्त आदित्य नेगी ने किशोर न्याय अधिनियम के बारे में जागरूकता लाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि अधिनियम से तहत अधिकारी उपमंडल स्तर तक जागरूकता कैंप लगाएं और इसके विभिन्न प्रावधानों को प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें।  उन्होंने कहा कि 14 फरवरी 2017 को उपायुक्त कार्यालय में बच्चों की काउंसलिंग के लिए जिला बाल परामर्श केंद्र की स्थापना की गई है, जिसमें 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की काउंसलिंग की जाती है। जुलाई 2022 से 13 दिसंबर 2022 तक इस केंद्र के माध्यम से 24 बच्चों को परामर्श प्रदान किया गया है, जिनमें दो बालिकाएं शामिल हैं।  बैठक में जिला बाल संरक्षण अधिकारी रमा कंवर, सीडब्ल्यूसी चेयरपर्सन अमीता भारद्वाज, उप निदेशक प्रारंभिक शिक्षा दीवान चंदेल, उच्च शिक्षा अशोक शर्मा, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एचआर ठाकुर सहित समिति के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
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