बानी सिमर कौर, शिमला
पलकें झपके,
या आँसू टपके,
हर पल वो मुझे सहलाती।
जब-जब मैं रोती,
तब-तब वो आती,
मेरी सहमी आँखों को,
पल में खुश कर जाती।
मेरी हर गलती को,
अनदेखा कर देती,
तभी तो यह,
माँ कहलाती।
पूरी दुनिया के लिए,
यह होगी एक माँ,
पर मेरे लिए,
यह हैं पूरी दुनिया ।
शानदार कविता
Beautifully penned