भीम सिंह, गांव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश
आजादी के दीवाने अगर
उस वक्त मौत से डर जाते
तो सच कहता हूं हम कभी
इस देश में आजादी नहीं पाते।
हमने सुनी है पूरी कहानी
अपने दादा-दादी से
डर गये थे अंग्रेज तब
महात्मा गांधी की खादी से।
कितनी लाशें बिछ गई थी
मां भारती के चरणों में
उनका हिसाब लगाने लगें
तो उलझ जायेंगे व्याकरणों में ।
तन जेलों में सड़ गये
तड़प-तड़प भले मर गये
मगर दीवाने ऐसे डटे
आजादी लेकर ही पीछे हटे।
आज हम तरक्की की पींघे झूल रहे
मगर स्वतंत्रता सेनानियों को भूल रहे
यह गलती कहीं पड़ न जाये भारी
सावधान हो जायें देश के नर-नारी।