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नील गगन को छूने दो — 117 कविताओं का काव्य संग्रह; प्रियंवदा
प्रियंवदा, स्वतंत्र लेखिका, सुंदरनगर, हिमाचल प्रदेश
काव्या वर्षा ने ‘नील गगन को छूने दो’ में 117 कविताओं का काव्य संग्रह लिखा है, जिसका प्रथम संस्करण वर्ष 2021 में निकला । निखिल पब्लिशर्स...
बटन — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
हमारे देश में माता-पिता और गुरु को देवताओं के समकक्ष रखा गया है | इनमें भी माता का दर्जा सबसे महान है क्योंकि हर माँ हर हाल में अपने बच्चों...
रिश्ते — भीम सिंह
भीम सिंह, गांव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।
उन रिश्तों को निभाऊं कैसे
जिनमें थोड़ा भी प्यार नहीं
ऐसे रिश्ते किस काम के हैं
जिन्हें दिल मानने को तैयार नहीं ।
रिश्ते वह ही अच्छे...
हरे रामा हरे कृष्णा
भीम सिंह, गांव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।
अपने गये बेगाने गये
मरी न मन की तृष्णा
कैसा संसार बनाया तूने
हरे रामा हरे कृष्णा ।
पूरी ज़िन्दगी लगा रहा
जोड़ने पाई-पाई
आखिर वक्त खाली हाथ
अर्थी जब...
स्वतन्त्रता सैनानी — भीम सिंह
भीम सिंह, गांव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश
आजादी के दीवाने अगर
उस वक्त मौत से डर जाते
तो सच कहता हूं हम कभी
इस देश में आजादी नहीं पाते।
हमने सुनी है पूरी कहानी
अपने...
मेरे गांव की नदी
किरण वर्मा, गाँव रेहल
मेरे गांव में बहती है एक नदी
स्वच्छ, निर्मल धारा जिसकी ।
ना जाने कितनों की प्यास बुझाती।
सिंचित कर बाग बगीचे
किसानों के हर्ष का कारण बनती
मेरे गांव में बहती है...
चांटा — प्रो. रणजोध सिंह
प्रो. रणजोध सिंह
जोगी उम्र के उस पड़ाव पर था जहाँ पर बच्चे सारा दिन मस्ती करने के पश्चात घर आकर माँ-बाप पर रौब जमाते हैं कि वो कॉलेज में पढ़कर आए...
मैं सिर्फ दवाई देता हूं — प्रो. रणजोध सिंह
प्रो. रणजोध सिंह
बड़े अस्पताल के डॉक्टरों ने मुझे साफ-साफ बता दिया कि तुम्हारे पिताजी को कैंसर है जो अपनी अंतिम अवस्था में पहुंच गया है l साथ ही उन्होनें यह भी...
शेर दिल — भीम सिंह
भीम सिंह, गांव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।
शेर दिल खड़ें हैं सरहद पर
दिन रात रहे दहाड़
दुश्मन कहीं दिखा नहीं
हुई समझो दो-फाड़।
थर-थर दुश्मन कांपता
छुपने को ढूंढता दिवार
इन शेरों से कोई हमें...
आत्मा रंजन के काव्य संग्रह – जीने के लिए ज़मीन का लोकार्पण
आज गेयटी थियेटर शिमला के कांफ्रेंस हॉल में कीकली चेरिटेब ट्रस्ट द्वारा चर्चित कवि आत्मा रंजन के सद्य प्रकाशित दूसरे कविता संग्रह "जीने के लिए ज़मीन" का लोकार्पण समारोह आयोजित किया...
जीवन एक पहेली — कोमल
कोमल, बीएससी मेडिकल, 1st ईयर, बैजनाथ गवर्नमेंट कॉलेज
जीवन एक पहेली है,
संघर्ष इसकी सहेली है।
मंजिलों तक उड़ाने हैं
गगन की और निगाहें आसान नहीं होती
कभी रास्तों से मुलाकाते हैं
थम जाए वह हौसले नहीं...
न होने में होने की संभावनाओं को देखती कविताएं — जीने के लिए ज़मीन
एक कविता लिखने में पहला कदम लिखने के लिए एक विषय का निर्धारण करना होता है, यह तय करना काफी मुश्किल है कि आप क्या लिखना चाहते हैं, या अपनी किन...