December 22, 2024

महात्मा, संत, फकीर विचारक: गुरु नानक देव

Date:

Share post:

डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा

“अवल अल्लाह नूर उपाइया कुदरत के सब बंदे। एक नूर से सब जग उपजया को भले को मंदे।” ये शब्द बाबा नानक ने अपने एक प्रवचन के दौरान उस समय कहे थे, जब किसी ने बाबा जी से सवाल करते हुवे पूछा था कि हिन्दू और मुसलमान में से कौन बड़ा है।तो बाबा नानक ने समझते हुवे बताया था कि परमात्मा ने ही यह सुंदर प्रकाशयुक्त इंसान पैदा किया है और उसी प्रकाश के साथ उसने इस समस्त सृष्टि की रचना भी की है, जिसमें कोई भी बुरा या भला नहीं बल्कि सभी अमूल्य व बराबर हैं। कितने ही सुन्दर व तार्किक विचारों से उस संत फकीर, बाबा नानक ने उत्तर दे कर सामाजिक भेद भाव को मिटाने का प्रयास किया था।

आज के संदर्भ में (दंगे फसाद वाले समाज के लिए) यह भेद भाव रहित गुरु जी का संदेश विशेष महत्व रखता है। इस महान व्यक्तित्व, संत, फकीर विचारक व सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म 29 अक्टूबर, 1469 की कार्तिक पूर्णिमा के दिन माता तृप्ता देवी व पिता मेहता कालू खत्री के घर लाहौर के समीप के गांव तलवंडी (अविभाजित भारत) में हुआ था। नानक अपने बचपन से ही सांसारिक मोह माया से दूर रहने लगे थे।पढ़ने में भी इनकी कोई विशेष रुचि नहीं थी।इसी लिए इनके पिता ने घरेलू खर्चे पानी के लिए कुछ पैसे दे कर सच्चा सौदा करने के लिए भेज दिया।गुरु नानक देव ने पिता द्वारा दिए पैसों को साधु संतों को खाना खिलने में खर्च कर दिए जो कि नानक के लिए एक सच्चा सौदा ही था।इस तरह से बालक नानक साधु संतों के साथ रह कर भजन सत्संग, आध्यात्मिक चिंतन व परोपकारी कार्यों में व्यस्थ रहने लगा था।तलवंडी गांव के लोग नानक की जनसेवा, चिंतन व चमत्कारी कार्यों से प्रभावित हो कर उसे दिव्य व्यक्तित्व मानने लगे थे।

इन सभी के साथ ही साथ उनकी बहिन नानकी व गांव का प्रमुख राय बुलार गुरु नानक में विशेष श्रद्धा रखने लगे थे।लेकिन नानक के पिता हमेशा बेटे के लिए चिंतित रहने लगे थे।अभी नानक मात्र 16 बरस का ही था कि पिता ने बालक नानक को पारिवारिक जीवन में डालने के लिए उसे गुरदासपुर के एक गांव, लाखोंकी की लड़की सुलखनी के साथ वैवाहिक बंधन में बांध दिया। जिससे इनके दो बेटे, श्री चंद व लखमी दास हुवे।लेकिन नानक अब भी अपने उन्हीं विचारों में, अर्थात इंसान सभी बराबर हैं, कोई छोटा बड़ा नहीं। सभी एक जैसे ही पैदा होते है उसके (परमात्मा) लिए सब बराबर हैं, जात पात तो सारा स्वार्थ का खेल है। 1507 ईस्वी में गुरु नानक देव अपने परिवार व बाल बच्चों को छोड़ कर देश भ्रमण के लिए तीर्थ यात्रा पर निकल गए। भ्रमण में नानक के साथ चार अन्य साथी भी थें, जिनमें मर्दाना, बाला, लहना व राम दास शामिल थे।यात्रा के दौरान गुरु नानक देव जहां जहां जाते, वहां मानवता का संदेश भी देते जाते थे।

किंवदंतियों व कथा कहानियों के अनुसार ऐसा भी कहा जाता है कि 1521 ईस्वी तक नानक ने अपने साथियों के साथ यात्रा के चार चक्कर लगा लिए थे।जिसमें इन्होंने अपने देश भारत के हरिद्वार, अयोध्या, मणिकरण (कुल्लू), बंगाल के साथ ही साथ अफगानिस्तान, फारस, अरब (मक्का मदीना), चीन, तिब्बत बगदाद, यरुशलम, अजरबेजान व सूडान आदि भी आ जाते हैं।गुरु नानक जी की इन यात्राओं से संबंधित कई एक किस्से और कहानियां भी सुनने को मिल जाती हैं। गुरु नानक देव हिन्दू और मुसलमान में कोई भेद नहीं रखते थे, इसी लिए उनके उपदेशों और विचारों को सुनने के लिए बिना किसी जाति, धर्म, लिंग व रंग भेद के सभी लोग उनके यहां चले रहते थे। वे सर्वेश्वरवादी थे, उनका विश्वाश था कि एक ही ईश्वर सबका सर्वशक्तिमान मालिक है, जो सभी का निर्माता, रक्षक व देखभाल भी करता है। मूर्ति पूजन के साथ ही साथ वे हिन्दू व मुस्लिम धर्म के रूढ़िवादी विचारों व अंधविश्वासों के कट्टर विरोधी थे।इसीलिए वे अक्सर पंडितों पुजारियों व मुल्लाओं मौलवियों को सर्वशक्तिमान ईश्वर की शक्ति का अहसास दिलाते नहीं चूकते थे।गुरु नानक धार्मिक व सामाजिक सुधारों के साथ ही साथ राजनीतिक सुधारों के भी हिमायती थे ।

सभी के साथ समान व न्यायिक व्यवहार होना चाहिए वे कहते थे कि किसी भी प्रकार का रंग भेद या ऊंच नीच का भेद करना उस परमात्मा के साथ धोखा करने के बराबर होता है।महिलाओं के साथ भी किसी प्रकार का भेद भाव नहीं होना चाहिए। प्रकृति व मानव सेवा को गुरू नानक ने सबसे बड़ी सेवा बताया है और इसी सेवा को प्रभु सेवा का ही एक रूप कहा है। मानवता की सेवा के रूप में ही गुरु नानक देव जी ने करतारपुर नामक नगर भी बसाया था और वहीं पर मानव कल्याण हेतु एक धर्मशाला का निर्माण भी अपने भक्तों की मदद से करवाया था।बताते हैं कि करतारपुर में ही कृष्ण पक्ष के दसवें दिन संवत 1517 (22 सितंबर 1539) में गुरु जी का परलोक वास हुआ था।ऐसे भी बताया जाता है कि गुरु जी ने अपनी मृत्यु से पूर्व ही भाई लहना को अपना उतराधिकारी घोषित कर दिया था, जो कि बाद में गुरु अंगद जी के नाम से जाने गए। गुरु नानक जी भक्ति काल के एक अच्छे सूफी कवि व भजन गायक थे। इनके शब्दों में फारसी, मुल्तानी, पंजाबी, सिंधी, खड़ी बोली व अरबी का प्रयोग देखा गया है। गुरुग्रंथ साहिब की गुरुवाणी में इनके 974 शब्द (19 रागों में) शामिल हैं।इनकी शिक्षाएं भक्ति भजनों में सुनी जा सकती हैं।

इनके अनुसार ईश्वर को ध्यान के माध्यम से प्राप्त करके जन्म मरण (पुनर्जन्म) से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। लेकिन ध्यान पूर्ण रूप से इनके अनुसार आंतरिक होना जरूरी बताया गया है। इस प्रकार ध्यान के लिए किसी भी प्रकार के बुत मूर्ति, मंदिर, मस्जिद, धार्मिक साहित्य या किसी अन्य प्रकार का प्रार्थना का साधन नहीं होना चाहिए, क्योंकि जिस ईश्वर के ध्यान को हम बैठते हैं, वह तो हमारे अंदर ही निवास करता है। यही तो गुरु नानक देव जी का सबसे बड़ा अपना चिंतन था। गुरु नानक जी से संबंधित किस्से कहानियों को “साखियां” या अन्य “साक्ष्य” कहा जाता है।यदि ये कालानुक्रमिक हो तो इन्हें जन्म साखियां कहा जाता है। इस तरह से देखा जाए तो पहले की परम्पराओं में गुरु जी की बगदाद व मक्का मदीना की कहानियां आ जाती हैं और श्री लंका की कहानियों को बाद में शामिल की बताया जाता है।

ऐसा भी कहते हैं कि गुरु जी ने चीन तक पूर्व में और रोम तक पश्चिम की यात्रा की थी।गुरु जी से संबंधित जन्म साखियों (पवित्र कथा कहानियों) की साहित्य सामग्री का भी विशाल संग्रह है,जिससे गुरु नानक देव जी की जीवनी का आधार देखा जा सकता है, जो कि एक विशाल और गहरे समुद्र की भांति है।इनकी कहानियों, किस्सों और चमत्कारों का कोई अंत नहीं ।कहते हैं कि जाते जाते भी गुरु जी अपने अनुयायियों को आश्चर्य में डाल गए थे।गुरु जी की मृत्यु के पश्चात इनके अनुयायियों में एक जोरदार हंगामा खड़ा हो गया था।हिंदू गुरु जी के शरीर का दाह संस्कार करना चाहते थे, जब कि मुस्लिम अनुयाई गुरु जी को दफनाने पर जोर डाल रहे थे। इसी आपसी झगड़े में ही जब गुरु नानक देव जी के मृत देह से कपड़ा उठाया गया तो, कपड़े के नीचे फूलों की ढेरी को देख कर सब चकित रह गए, मृत देह का कहीं भी कोई नामों निशा नहीं था। गुरु जी जाते हुवे भी अपने अनुयायियों को एकता का संदेश दे गए।उस महान व्यक्तित्व, आत्मा, संत, महात्मा, बाबा फकीर को मेरा शत शत नमन।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

Union Minister Bhupender Yadav to Release ISFR 2023 in Dehradun

Union Minister of Environment, Forest and Climate Change Bhupender Yadav will release the India State of Forest Report...

AI-Driven Diagnostics and Telemedicine – Transforming Healthcare Accessibility

Union Minister of State (Independent Charge) for Science and Technology, Minister of State (Independent Charge) for Earth Sciences,...

हिमाचल प्रदेश सरकार के जनकल्याणकारी कार्यक्रमों का विशेष प्रचार अभियान

प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों एवं कार्यक्रमों की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से विशेष प्रचार अभियान...

FIR Against Rahul Gandhi Raises Political Controversy

Chief Minister Thakur Sukhvinder Singh Sukhu has termed the FIR registered against Leader of the Opposition in Lok...