October 13, 2024

माँ के समर्पण और बेटों की मेहनत को सलाम, एक साईंटिस्ट तो दूजा बनेगा डॉक्टर

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कुलदीप वर्मा, कीकली रिपोर्टर, 7 अक्टूबर, 2019, शिमला (स्पेशल वीडियो रिपोर्ट — अनामिका मल्होत्रा)

आत्मविश्वास और समर्पण के साथ की गई मेहनत से जीवन का कोई भी लक्ष्य साधा जा सकता है । राजधानी शिमला के नाभा में रहने वाले दंपति की बच्चों के प्रति समर्पण भावना और जिगर के टुकड़ों ने कड़ी मेहनत के दम पर अपना भविष्य सुरक्षित कर अपने माता पिता के होंठों पर मुस्कुराहट बिखेर दी है ।

लक्ष्य के प्रति समर्पण, लगन और मेहनत के बूते शिमला के शिवम नासा में रोबोटिक्स इंजिनीयरिंग कर साईंटिस्ट बन इतिहास रचेंगे तो वहीं राघव एम.बी.बी.एस. डॉक्टर बन बीमारों की सेवा करेंगे ।

शिमला के नाभा में रहने वाले देवेन्द्र चोपड़ा और उनकी धर्मपत्नी वंदना चोपड़ा को अपने बेटों की कामयाबी के इस सफर पर नाज है । आँखों से छलक़ते खुशी के आंसुओं के साथ वह अपने उद्गार कुछ इस तरह व्यक्त करती हैं, वंदना कहती हैं, “बेटों की सफलता पर आज इतनी खुश हूँ कि मैं जाहिर नहीं कर सकती कि मैं कितनी खुश हूँ, बस इतना कहूँगी कि आज मैं बहुत खुश हूँ, खुद को पूरी तरह से फ्री महसूस कर रही हूँ ऐसा लगता है जैसे मेरा जीवन सफल हो गया।”

वहीं हिमाचल उच्च न्यायालय में अकाउंटस विभाग में रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत देवेंद्र बच्चों के भविष्य के प्रति समर्पित रहने वाली अपनी पत्नी वंदना और बच्चों द्वारा की गई कड़ी मेहनत को इस सफलता का श्रेय देते हैं ।

वर्ष 1994 में जन्मे शिवम और 1999 में अपनी मधुर किलकारी से चोपड़ा दंपति परिवार में खुशियाँ भरने वाले दोनों होनहारों ने अपनी दसवीं तक की पढ़ाई आशिमा व विनिता जैसी अध्यापिकाओं के मार्गदर्शन में प्रतिष्ठित स्कूल शैलेडे से पूरी की । तत्पश्चात शिवम ने चंडीगढ़ स्थित इंस्टीच्यूट ऑफ इंजीनीयर्स से 4 वर्षीय बी टेक पूरी कर कला देवी अवार्ड 2015 हासिल किया साथ ही शिवम चंडीगढ़ पेक पी.ई.सी. युनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलॉजी वर्ष 2012-2016 में मैकेनिकल इंजीनीयरिंग एग्जामिनेशन के गोल्ड मेडलिस्ट टॉपर रहे । इसके बाद शिवन ग्रेजुएट रिकॉर्ड एग्जामिनेशन पास कर युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में नोमिनेट हुए और मास्टर ऑफ साईंस की डिग्री अर्जित की इसके साथ ही शिवम के एम.एस. के टॉपर होने के चलते नासा (N.A.S.A.) की स्कॉलरशिप हासिल कर पी.एच.डी. रोबोटिक्स इंजीनीयरिंग में प्रवेश पाया । कभी शैलेडे स्कूल का आईन्स्टिन टाईटल प्राप्त करने वाला व रिजर्व नेचर रखने वाला शिवम साइंटिस्ट बन भारत का नाम रौशन करेगा ।

बच्चों के सुंदर भविष्य के प्रति एक माँ का समर्पण अब रंग दिखा रहा था एक तरफ वर्ष 2017 में बड़ा बेटा साइंटिस्ट बनने की राह पर आगे बढ़ चुका था तो वहीं इसी वर्ष छोटे बेटे राघव की काबिलियत भी रंग लाने लगी थी । राघव ने भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर 2017 में नीट का फ्रेश इयर पास किया जिसके बलबूते एम.बी.बी.एस. में प्रवेश पाया । राघव बच्चपन से ही बीमारों की सेवा करने की खवाहिश को दिल में पाले हुए था जिसे जल्द ही वे हकीकत में तब्दील करता हुआ नजर आएगा ।

वंदना के अनुसार, “हर माँ को बच्चों का साथ देना चाहिए, जो बच्चे रात में पढ़ाई करते हैं उनके साथ बैठना चाहिए, उनका पूरा ध्यान रखना चाहिए । वंदना ने सभी माताओं से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखें, उनके रहन-सहन और डाइट का पूरा ख्याल रखें उन्होने कहा कि वे अपने बच्चों को 2 बादाम, काली मिर्च, अखरोट और मामूली खस खस को गाय के दूध में मिक्स कर बगैर मीठे के अपने बच्चों को पिलाती थीं, दहीं, जूस, सलाद और प्रोटीन से भरा लिक्विड और वेजेटेरियन डाइट दिया । वंदना ने कहा कि मेरे बच्चों ने 5 वर्ष श्री तुलसी के पत्तों का उबला हुआ पानी पिया।   वंदना कहती हैं कि हमें बच्चों को कभी भी मारना नहीं चाहिए । स्वाभाविक तौर पर बच्चों से छोटी मोटी गल्तियाँ हो जाया करती हैं, हमें उनकी गल्तियों को सुधारना चाहिए न की उन्हें मारना ।”

वंदना कहती हैं की अभिभावकों को भी बच्चों का साथ देना चाहिए ।  सभी टीचर पर ही न छोड़ दें कि टीचर करवाएँगे, वे भी साथ साथ पढ़ाई कराते रहें । वंदना कहती हैं कि अध्यापिकाओं ने उनका बहुत साथ दिया है जिनकी मैं बहुत शुक्रगुजार हूँ । शैलेडे स्कूल की कुशल अध्यापिकाएँ हमेशा बच्चों को मोटीवेट करती थीं, तुम ये कर सकते हो… हाँ तुम ये कर सकते हो। जो बच्चा कमजोर था उसने भी वहाँ तक पहुँचने के लिए मेहनत की ऐसे कुशल अध्यापकों की बदौलत आज मेरे बच्चे इतने अच्छे क्षेत्रों में पहुँच पाएँ हैं ।

वंदना ने कहा कि वे बच्चों को संदेश देना चाहेंगी कि, “वे बहुत मेहनत करें, मेहनत कभी बेकार नहीं जाती मेहनत करने वाले बच्चे हमेशा सफल होते हैं।”

वंदना कहती हैं कि, “लक्ष्य प्राप्ति के लिए उनके बच्चों ने बहुत मेहनत की, रात दो दो बजे तक उनके साथ बैठ कर पढ़ाई में उनकी हरसंभव सहायता की । वंदना के अनुसार जुनून हर बच्चे के अंदर होता है बस उसको जगाना जरूरी है ताकि वो हीरा उसके अंदर से बाहर निकल आए।”

वंदना अपने जज़्बात ब्यान करते हुए कहती हैं कि, “वे सदा अपने बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाती थीं, उन्हें बताती थीं कि अगर जीवन में कुछ बनना है तो बहुत पढना पड़ेगा। एक औंस बुद्धि और बहुत सारा परिश्रम करने की जरूरत होती है । बच्चों ने बहुत मेहनत की और सभी ने उनका साथ दिया । हमारे घर का माहौल खुशनुमा और अच्छा था पति ने भी बच्चों कर हर पल साथ दिया । वंदना कहती हैं कि हमारा ये मानना था कि जब बच्चे टी वी नहीं देखेंगे तो हम भी उनका साथ देंगे एक अरसे तक कोई केबल नहीं लगवाया कोई फोन नहीं रहा। बच्चों ने भी केवल किताबें, अखबार और रेडियो को ज्ञान का स्त्रोत बनाया । सुबह की सैर और दोस्त की तरह बच्चों के साथ खेला । आखिर में बच्चों की मेहनत रंग लाई ।”

उधर चोपड़ा परिवार के दोनों चिराग इसे अभी जीवन में ज्ञान अर्जन का पहला पड़ाव करार देते हुए अब तक की सफलता का श्रेय अपने माता पिता के आशीर्वाद और समर्पण व अध्यापकों के मार्ग दर्शन को देते हैं । शिवम के अनुसार, “इसरो चंद्रयान को भले ही सौ प्रतिशत कामयाबी न मिली हो, लेकिन वे कामयाब भी होंगे । भारत के वैज्ञानिकों ने बहुत मेहनत की है, हमें उन्हें सलाम करना चाहिए।”

राघव के अनुसार, “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, सफलता की राहों में मुश्किले जरूर आती हैं लेकिन उन्हें पार करना असंभव नहीं और हर लक्ष्य को मेहनत के दम पर पाने की ख्वाहिश लगातार जुनून के रूप में मेरे साथ रहती है।”

सच्च ही कहा है….

लहरों से डरकर नौका कभी पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है ।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़ कर गिरना, गिर कर चढ़ना कभी न अखरता है,
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती…

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Keekli Bureau
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