December 3, 2025

अंतरराष्ट्रीय विज्ञान दिवस व महान वैज्ञानिक सी वी रमन – डॉ कमल के प्यासा

Date:

Share post:

तथ्य आधारित ज्ञान या क्रमबद्ध ज्ञान ही विज्ञान कहलाता है। क्योंकि इसमें तथ्यों, सिद्धांतों और नियमों का ही सारा जोड़ तोड़ रहता है।जिससे हमें अपने प्रश्नों के उत्तर सबूतों के साथ मिल जाते हैं और समस्त शंकाएं भी मिट जाती हैं।इतना ही नहीं विज्ञान ही, समस्त अंधविश्वासों व रूढ़ियों को अपने सिद्धांतों व नियमों के बल से स्पष्ट कर देता है। आज हम जितना भी विकास व सुविधाएं देख रहे हैं, सभी विज्ञान ही की तो देन हैं। विज्ञान ने जहां एक दूसरे के निकट ला दिया है, वहीं दैनिक जीवन के खान पान व रहन सहन में भी भारी फेर बदल किया है। कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल गई है और भविष्य में क्या क्या होने जा रहा है उससे भी परिचित हो रहे हैं।

डॉo कमल केo प्यासा
डॉ कमल के प्यासा

सच में विज्ञान आज वरदान साबित हो रहा है।क्योंकि इससे लोगों में जागरूकता आती है, वैज्ञानिक सोच पैदा होती है और हम बेकार के टूने टोटकों व भ्रांतियों आदि से बच जाते हैं। अब बात आती है अंतरराष्ट्रीय विज्ञान दिवस की, जिसके लिए अपने महान वैज्ञानिक सी वी रमन को याद किया जाता है। वैसे सी वी रमन का पूरा नाम चंद्र शेखर वेंकट रमन के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म तमिल नाडु केत्रिचनापल्ली में 7 नवंबर, 1888 को माता श्रीमती पार्वती अम्मल व पिता चंद्र शेखर राम नाथ अय्यर के यहां हुआ था।पिता राम नाथ अय्यर उस समय एस पी जी कॉलेज में भौतिकी के प्रध्यापक थे।

जिनका स्थानांतरण वर्ष 1892 में श्रीमती ए वी एन कॉलेज विशाखापटनम में गणित व भौतिकी के प्रध्यापक के स्थान पर हो गया था।उस समय बालक रमन की आयु केवल 4 वर्ष की ही थी। इसी लिए इनकी प्रारंभिक शिक्षा विशाखापटनम में ही हुई थी। 12 वर्ष की आयु में रमन मैट्रिक की परीक्षा अच्छे अंकों में पास कर चुके थे। वैसे तो इनके पिता उच्च शिक्षा के लिए इन्हें विदेश भेजना चाहते थे, लेकिन इनके स्वास्थ्य को देखते हुवे ऐसा नहीं कर पाए। वर्ष 1902 में इन्हें मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश मिल गया और बी ए में प्रथम स्थान के साथ ही साथ गोल्ड मेडल प्राप्त करने में भी आगे रहे।

इसी के साथ वर्ष 1906 में सी वी रमन द्वारा अपना पहला शोध पत्र, जो कि प्रकाश के विवर्तन से संबंधित था, लन्दन की एक प्रसिद्ध पत्रिका फिलासोफिकल में प्रकाशित हो गया था। जिसमें रमन ने स्पष्ट किया था कि जब प्रकाश की किरणें किसी छिद्र में से हो कर निकलती हैं या फिर किसी अपारदर्शी वस्तु के किनारे से निकलती हैं और किसी पर्दे पर पड़ने पर मंद व तीव्र होने से रंगीन पाठिकाओं में दिखाई देती हैं, इस घटना को विवर्तन कहा जाता है। यह गति का एक सामान्य लक्षण होता है।जिससे यह भी पता चलता है कि प्रकाश तरंगों में निर्मित होता है। सी वी रमन ने अपने स्पेक्ट्रोसकॉपी प्रयोग के संबंध में बताया था कि जब प्रकाश की किरण अणुओं द्वारा विक्षेपित होती है तो उसकी तरंग दैधर्य में परिवर्तन हो जाता है।

और जब किसी पारदर्शी पदार्थ से निकलती है तो उसका कुछ हिस्सा दूसरी ओर निकल जाता है। कुछ एक प्रकाश के अणु अपने कंपन के कारण, अपनी ऊर्जा के स्तर को बदल लेते हैं और फिर दूर बिखर जातें हैं। इसी प्रभाव (इफेक्ट) का कई जगह प्रयोग करके लाभ उठाया जाता है। वर्ष 1907 में सी वी रमन द्वारा मद्रास विश्वविद्यालय से गणित में प्रथम श्रेणी में एम ए कर ली थी। इतना सब कुछ कर लेने के साथ ही रमन ने वित विभाग की प्रतियोगी परीक्षा को भी प्रथम श्रेणी में पास कर लिया था और फिर वर्ष 1907 में ही अकाउंटेंट जनरल बन कर कलकत्ता चले गए और वहीं पर प्रयोगशाला में अपने प्रयोग भी करये रहे। बाद में पहले रंगून और फिर नागपुर स्थानांतरण हो गया तो तब वे अपने प्रयोग घर पर ही करने लगे थे।

वर्ष 1911 में जब सी वी रमन का दुबारा कलकत्ता में स्थानांतरण हुआ तो अनुसंधान व प्रयोग फिर से प्रोगशाला में करने शुरू कर दिए थे, जो कि वर्ष 1917 तक चलते रहे। रमन की योग्यता को देखते हुवे ही जर्मनी से निकलने वाली पत्रिका “भौतिकी विश्व कोष” के लिए इनसे वाद्य यंत्रों की भौतिकी पर विशेष पत्र लिखवाया गया। जिस कारण ही रमन को कलकत्ता यूनिवर्सिटी में भौतिकी के, प्रध्यापक के पद के लिए आमंत्रित किया गया था।यहीं पर ही रमन ने भिन्न भिन्न पदार्थों से प्रकाश के गुजरने पर, उन पर क्या प्रभाव पड़ता है, का भी अध्ययन किया था। वर्ष 1921 में रमन कलकत्ता विश्विद्यालय के एक प्रतिनिधि के रूप में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय भी जा आए थे। फिर वर्ष 1924 में इनके अनुसंधानों को देखते हुवे, रॉयल सोसाइटी लन्दन द्वारा इन्हें फेलोशिप दे दी गई ।

वर्ष 1927 में “रमन प्रभाव” के अंतर्गत ही सी वी रमन ने बता दिया कि जब प्रकाश की एक्स किरणें प्रकीर्ण होती हैं तो उनकी तरंग की लम्बाईयां बदल जाती हैं, रमन ने यह भी सिद्ध कर दिया कि होने वाला यह अंतर पारद प्रकाश के परिवर्तन के कारण होता है। इस खोज की घोषणा रमन द्वारा 28 फरवरी, 1928 को की गई थी।जिसके लिए इन्हें वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वर्ष 1948 में सेवानिवृति के पश्चात सी वी रमन द्वारा ही रमन शोध संस्थान की स्थापना की गई, जिसमें रमन द्वारा अनुसंधान लम्बे समय तक चलते रहे। वर्ष 1954 में इनके शोध कार्यों व विज्ञान के प्रति लगाव को देखते हुवे इन्हें भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया था। फिर वर्ष 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार से भी इन्हें सम्मानित किया गया।

सी वी रमन द्वारा की गई (विज्ञान की चमत्कारी) खोजों की देन को, आज चिकित्सा के क्षेत्र में ही नहीं बल्किप्रौद्योगिकी, तकनीकी व विकास के कार्यों में भी देखा जा सकता है। लेकिन वह महान व्यक्तित्व 21 नवंबर 1970 को हृदय गति के रुक जाने से इस संसार को छोड़ कर हम से बहुत दूर चला गया। इतने सम्मान और विज्ञान के प्रति उनके समर्पण व रमन प्रभावकी विज्ञान के क्षेत्र में विशेष देन को देखते हुवे, वर्ष 1986 में राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद द्वारा भारत सरकार से 28 फरवरी (रमन प्रभाव के घोषणा के दिवस) को विज्ञान दिवस घोषित करने की मांग रखी थी, जिसे मान लिया गया और तभी से सी वी रमन की “रमन प्रभाव” वाले खोज दिवस (28/02/1928) को अंतरराष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में, याद करते हुवे मनाया जाने लगा है। अंतरराष्ट्रीय विज्ञान दिवस के इस पावन अवसर पर महान वैज्ञानिक को शत शत नमन।

Daily News Bulletin

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

This Day In History

1804 Napoleon Bonaparte declared himself Emperor of France in a spectacular ceremony at Notre-Dame Cathedral, marking the height of...

Today, Dec 2, 2025 : International Day for the Abolition of Slavery, World Computer Literacy Day & National Pollution Control Day

2 December is marked by several important observances both globally and in India. The International Day for the...

Celebrating Sportsmanship: IIAS Awards Ceremony

The Indian Institute of Advanced Study (IIAS), Rashtrapati Niwas, Shimla, recently held its annual Sports Competitions Award Ceremony...

Eye Care Camp Organized by Lions Club Shimla

Lions Club Shimla conducted a free eye check-up camp at their Lion I Hospital Complex today. The event...