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डॉo कमल केo प्यासा

तुम कहां चले गए, याद बहुत आती है: डॉo कमल केo प्यासा

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क्या कहूं कैसे कहूं किसे बताऊं कैसे बताऊं अंदर की बात तुम थे कुछ खास तुम ही याद आए ! किसे बताऊं किसे सुनाऊं जी तुम बिन है उदास कैसे किस...
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अनेकता में एकता का त्यौहार वैशाखी : डॉo कमल केo प्यासा

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किसी क्षेत्र स्थान व देश का सांस्कृतिक पक्ष जानने के लिए ,वहां के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले तीज , त्यौहारों व मेलों की जानकारी होना जरूरी हो जाता है।इस आलेख...
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चुनाव का दंगल: डॉo कमल केo प्यासा

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बज रहे है ,बजने लगे हैं भोंपूचुनाव के इस दंगल में ! रंग बिरंगे परचम पोस्टरउठाए बेकार हाथों नेजोर जोर से लगाते नारेघूमते गली कूचे बाजारों में ! बज रहे हैं,बजने लगे हैं...
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लाल चांद प्रार्थी बनाम चांद कुल्लूवी: डॉo कमल केo प्यासा

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लोक संस्कृति और कला के पुजारी जैसे महान व्यक्तित्व ,लाल चंद प्रार्थी का जन्म जिला कुल्लू के नग्गर नामक कस्बे में 3 अप्रैल ,1916 को मध्य वर्गीय परिवार में हुआ था।...
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चम्मचे (चम्मचों की कारगुजारी): डॉo कमल केo प्यासा

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कैसे कैसे होते हैं ये चम्मचे ?चापलुसियो की ही खाते हैं ये चम्मचे !चम्मचागिरी मेंअव्वल होते हैं येचम्मचे!दुवा सलाम करते नहीं थकते ये चम्मचे!कभी रूठ जाते कभी मान जाते हैंये चम्मचे...
डॉo कमल केo प्यासा

रंगों का त्यौहार होली: डॉo कमल केo प्यासा

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बसंत ऋतु में मनाए जाने वाले त्यौहारों में बसंत पंचमी के अतिरिक्त जो दूसरा मुख्य त्यौहार आता है वह है होली, इसे रंगों के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता...
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भोले शिव की शिवरात्रि: डॉo कमल केo प्यासा

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त्यौहार कोई भी क्यों न हो ,उसकी प्रतीक्षा तो रहती ही है और फिर  कई कई दिन पहले ही त्यौहार को मनाने की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। बसंत ऋतु की...
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चम्मचे (चम्मचों की कारगुजारी): डॉo कमल केo प्यासा

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चापलुसियो की ही खाते हैं चम्मचे !चम्मचागिरी मेंअव्वल होते हैंचम्मचे!दुवा सलाम करते नहीं थकते चम्मचे!कभी रूठ जाते कभी मान जाते हैंचम्मचे !फिर भी चिपके देखे गए चम्मचे !कहीं बिगाड़ते सुधारते देखे...
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समस्या: डॉo कमल केo प्यासा

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प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा ये समस्या है ,सब को ठन रही हैसमझता है हर कोईउलझन बड़ रही है,सिसकता रोताआंसू बहता ,बेचारा पर्यावरण हमारा ! नंग धड़ंगउजड़े जंगल,चिल्ला रहे हैं,कहरा...
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प्यारी मम्मी: डॉo कमल केo प्यासा

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मम्मी _मम्मी मेरी प्यारी मम्मीकब नानी के घर जाओगी ? माल_पूड़ा और दाल कचौड़ीक्या इस बार नहीं बनाओगी ? मम्मी मम्मी मेरी प्यारी मम्मीकब नानी के घर जाओगी ? मोटर_टमटम ,ठेला गाड़ी परकब तुम...
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दीवारें: डॉo कमल केo प्यासा

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दीवारेंछोटी बड़ीमोटी पतलीइधर उधरऊंची नीचीयहां वहांकहीं भी दिखती हों दीवारेंबंटती हैंकाटती हैंजुदा करती हैंअपनों को अपनों से ! दीवारेंऊंची नीचीनाटी हल्कीकच्ची पक्कीमिट्टी गारेबल्लू सीमेंट कीकैसी भी होंकिधर भी होंबस बांट के पैदा करती...
डॉo कमल केo प्यासा

पैंतरा: डॉo कमल केo प्यासा की एक कविता

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मौसम ने लीकरवट,गिरगिट ने रंगबदले !थाली के बैंगनबेपैंदे लोटे,सब लुढ़के,लुढ़कने लगे ! छुट पुट बादलछटं गए सब,अंगड़ाई ली फिरमौसम ने !नहीं बदले गाक्या फिर कल ?नहीं है कोईआशंका अब । आसमान तो साफ...