पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पर्यटन विभाग पूरी तरह सतर्क है। इसी क्रम में जिला पर्यटन विकास अधिकारी (डीटीडीओ) शिमला जगदीश शर्मा ने नारकंडा क्षेत्र के झमुण्डा और सिद्धपुर में अवैध रूप से संचालित जिप लाइन सहित विभिन्न साहसिक गतिविधियों का औचक निरीक्षण कर उन्हें तत्काल बंद करवाया।
जगदीश शर्मा ने बताया कि जिप लाइन एवं अन्य साहसिक गतिविधियों के संचालन हेतु पर्यटन विभाग से विधिवत लाइसेंस लेना अनिवार्य है, जो सभी आवश्यक सुरक्षा मानकों की पूर्ति एवं निरीक्षण के पश्चात ही जारी किया जाता है। निरीक्षण के दौरान चार संचालकों को नोटिस जारी किए गए हैं तथा उन्हें सात दिन के भीतर अवैध रूप से संचालित गतिविधियों से संबंधित सभी उपकरण हटाने के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में कोटगढ़ वन विभाग को भी सूचित किया गया है कि वन भूमि पर किसी भी प्रकार के उपकरण या ढांचे की अनुमति न दी जाए।
उन्होंने कहा कि यह गंभीर विषय संज्ञान में आया है कि कुछ स्थानों पर बिना विधिक अनुमति एवं पंजीकरण के जिप लाइन व अन्य साहसिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं, जो हिमाचल प्रदेश विविध साहसिक गतिविधि नियम-2017 एवं संशोधित नियम-2021 का स्पष्ट उल्लंघन है।
पर्यटन विभाग ने स्पष्ट किया कि साहसिक गतिविधियों के संचालन के लिए विधिक अनुमति, तकनीकी निरीक्षण, सुरक्षा प्रमाणन, प्रशिक्षित तकनीकी स्टाफ, बीमा सुविधा तथा निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य है। बिना अनुमति ऐसी गतिविधियों का संचालन न केवल दंडनीय अपराध है, बल्कि इससे पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों की जान को भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
उन्होंने बताया कि माननीय हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी बिना अनुमति संचालित साहसिक गतिविधियों पर सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेशभर में ऐसी गतिविधियों को तुरंत बंद करने तथा दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। बिना अनुमति गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने पर स्थल को सील करने, जुर्माना लगाने एवं कानूनी दंड जैसी कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
जगदीश शर्मा ने सभी संचालकों से अपील की कि यदि वे साहसिक गतिविधियां संचालित करना चाहते हैं तो शीघ्र ही पर्यटन विभाग में पंजीकरण हेतु आवेदन करें और सभी निर्धारित नियमों का पालन सुनिश्चित करें।




