
बंदरों व कुत्तों की समस्या को लेकर शिमला नागरिक सभा का एक प्रतिनिधिमंडल नगर निगम शिमला के महापौर श्री सुरेंद्र चौहान जी से मिला व उन्हें एक मांग पत्र सौंपा। नागरिक सभा ने तत्काल इस समस्या का समाधान मांगा है।
नागरिक सभा ने चेताया है कि अगर समस्या से निजात न मिली तो शिमला शहर की जनता को लामबंद करके आंदोलन तेज किया जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में नागरिक सभा के सह संयोजक विजेंद्र मेहरा, जगत राम, समरहिल के पार्षद विरेंद्र ठाकुर, विवेक कश्यप, डॉ राजेंद्र चौहान, डॉ विजय कौशल, किशोरी ढटवालिया, रंजीव कुठियाला, सुनील वशिष्ठ, राजीव चौहान व राम प्रकाश शामिल रहे।
विजेंद्र मेहरा, जगत राम व विवेक कश्यप ने कहा कि शिमला शहर में बंदरों व कुत्तों का आतंक भयंकर रूप धारण कर चुका है। लोगों को कुत्तों व बंदरों द्वारा काटने की घटनाएं आम हो गई हैं। बंदर व आवारा कुत्ते मॉल रोड़ पर खुलेआम घूम रहे हैं व आम जनता पर हमले कर रहे हैं। बंदरों के हमले के कारण हाल ही के सालों में शिमला शहर के इर्द गिर्द कई मौतें व हादसे हो चुके हैं। शिमला शहर व ढांढा में हुई मौतें इसकी गवाह हैं।
कुछ महीने पूर्व मॉल रोड़ पर स्थित इवनिंग कॉलेज के पास बंदरों के हमले में निजी स्कूल का एक छात्र काफी ऊंचाई से गिर गया था व गंभीर रूप से घायल हुआ था। कैथू निवासी इस छात्र को कई दिन आईसीयू में रहना पड़ा व यह छात्र काफी दिनों तक आईजीएमसी अस्पताल में भर्ती रहा। शिमला शहर में आने वाले हजारों पर्यटक बंदरों के हमले का शिकार होते हैं। बंदरों द्वारा जनता से समान छीनने की घटनाएं आम हो चुकी हैं।
नगर निगम प्रशासन का रवैया इस दिशा में बेहद लचर रहा है। नगर निगम की ओर से इस पर बीते वर्षों में कोई ठोस पहलकदमी नहीं हुई है। शिमला में बंदरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए माननीय उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के एक भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश ने भी दक्षिण भारत के शहर से बंदरों की सफाई के आधार पर शिमला में एक योजना की वकालत की थी जिसे नगर निगम शिमला ने कभी सिरे नहीं चढ़ाया।
नगर निगम शिमला को प्रदेश व केंद्र सरकार से बंदरों को वर्मिन घोषित करके उनकी वैज्ञानिक कलिंग का मुद्दा उठाना चाहिए। नगर निगम को जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करके जनता को बताना चाहिए कि लोग बंदरों व कुत्तों को खाने की चीजें न दें व कोई फीडिंग एरिया न बनाएं। नागरिक सभा ने मांग की है कि बंदरों व कुत्तों के मुद्दे पर आगामी नगर निगम सदन में एक प्रस्ताव पारित करके कोई ठोस समाधान तलाशना चाहिए। नगर निगम को इस समस्या के समाधान के लिए एक समग्र योजना तैयार करनी चाहिए जिसमें तत्कालीन व दूरगामी दोनों तरह के समाधान शामिल हों।