भीम सिंह नेगी, गांव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।
आँखों से ओझल हुई
दिल से गई नहीं याद
बिटिया अपने इस दुख की
किससे करें फरियाद ।
नैन भर-भर रोये
कुछ नहीं आया हाथ
क्यों तू अपने पापा का
छोड़ गई यूं साथ।
कहां गई क्या पता
हम कहां करें तालाश
अब तेरा मिलना सम्भव नहीं
चाहे हो तू कहीं आस पास।
सारे सुख से रह रहे
तेरे जाने की किसे परवाह
एक मां बाप ही हैं ऐसे
जिनके सीने में है दाह।
कर्म तुम्हारे खोटे धे
या हमारे जन्म के पाप
कुछ तो कुछ जरूर है
यूं नहीं मिलता संताप।
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