आज कीकली चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय के कहानी संग्रह “जब सूरज को रोना आया” का विमोचन एवं विमर्श कार्यक्रम गेयटी परिसर के कांफ्रेंस हॉल में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीयुत श्रीनिवासन जोशी ने की जबकि मुख्य वक्ता के रूप में के आर भारती, डॉ हेमराज कौशिक, आत्मा रंजन, डॉ सत्यनारायण स्नेही, शिखा मनकोटिया, सुजल शर्मा ने इन कहानियों के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से चर्चा की। मंच संचालन का दायित्व कवि दिनेश शर्मा ने बखूबी निभाया। कीकली चेरीटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष वंदना भागड़ा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए ट्रस्ट की गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला।

गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय कथा और कविता विधाओं में लगातार सक्रिय रहे हैं। कहानी संग्रह के रूप में यह उनकी तीसरी और कुल मिलाकर सातवीं पुस्तक है। “जब सूरज को रोना आया” कहानी संग्रह में संकलित कहानियाँ उनके व्यक्तिगत अनुभवों से निकल कर समाज की विसंगतियों, सामाजिक मुद्दों तक को गहराई से अभिव्यक्त करती हैं। सभी समीक्षकों ने कहानियों पर विस्तार से अपना विवेचन प्रस्तुत किया।

डायरेक्टर डॉ पंकज ललित ने ना ऐनी का खेद प्रकट किया और इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में के लिए गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय को उनके कहानियों के संग्रह के प्रकाशन पर हार्दिक बधाई दी। “गुप्तेश्वर लगातार लेखन कार्य में सक्रिय हैं। पिछले वर्ष ही उनके एक उपन्यास का विमोचन इसी सम्मेलन कक्ष में हुआ था। ‘जब सूरज को रोना आया’ कहानी संग्रह में संकलित कहानियाँ उनके व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित हैं, जो संस्कृति, सामाजिक मुद्दों और गहरे छिपे हुए नैतिक संदेशों को छूती हैं। इन कहानियों का संदेश समाज को जागरूक करने और नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करने वाला है, जो आज के परिपेक्ष्य में बड़ी प्रासंगिक हैं।” मैं उनके इस प्रयास की सराहना करता हूँ। मुझे विश्वास है कि उनकी लेखनी आगे भी ऐसी ही सक्रिय रहेगी और हम सब उसका आनन्द उठाते रहेंगे।

इस आयोजन में शिमला और अन्य क्षेत्रों से पचास से भी अधिक लेखकों और संस्कृति कर्मियों ने शिरकत की। जिनमें देवेंद्र धर, डॉ. विरेंद्र सिंह, डॉ. ओम प्रकाश शर्मा, रणजोध सिंह, स्नेह नेगी, सुमित राज, उमा ठाकुर, गुलपाल वर्मा, लेखराज चौहान, श्याम शर्मा, राधा सिंह, विचलित अजय, कीर्ति शर्मा, शैल उपाध्याय, भरत (हैदराबाद) आदि प्रमुख रहे।