मुख्यमंत्री ने आज किन्नौर जिले में 450 मेगावाट क्षमता वाली शोंगटोंग-कड़छम जल विद्युत परियोजना का दौरा किया और परियोजना स्थलों — कड़छम स्थित विद्युत गृह और पोवारी स्थित बैराज — पर चल रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने मौके पर इंजीनियरों और श्रमिकों से सीधे संवाद कर कार्य की प्रगति का जायजा लिया।
मुख्यमंत्री ने परियोजना को नवंबर 2026 तक समयबद्ध रूप से पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि परियोजना के क्रियाशील होने पर प्रदेश को प्रतिवर्ष लगभग ₹1,000 करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह परियोजना पिछले 13 वर्षों से लंबित थी, लेकिन वर्तमान सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल में इसे गति मिली है और इसे समय पर पूरा कर प्रदेश को समर्पित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि हिमाचल की नदियाँ राज्य की “बहती हुई संपत्ति” हैं, और सरकार इस प्राकृतिक संसाधन के समुचित उपयोग के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने पूर्व सरकारों पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस संपदा का शोषण होने दिया, जबकि वर्तमान सरकार इसके दोहन से प्रदेश की आर्थिकी मजबूत करने के लिए ठोस प्रयास कर रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार धौलासिद्ध, लुहरी और सुन्नी जल विद्युत परियोजनाओं को राज्य के अधीन लाने के लिए कार्य कर रही है। साथ ही, किन्नौर के टापरी में जियोथर्मल पॉवर प्रोजेक्ट स्थापित करने की दिशा में भी प्रयास जारी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल को 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य, 2027 तक आत्मनिर्भर और 2032 तक देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाने के लिए सरकार संकल्पबद्ध है। वर्तमान में प्रदेश में 626 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं एचपीपीसीएल के माध्यम से निर्माणाधीन हैं।
मुख्यमंत्री का चोलिंग हेलीपैड पर स्थानीय विधायक और राजस्व, बागवानी व जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी के नेतृत्व में पारंपरिक स्वागत किया गया। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के महाप्रबंधक आबिद हुसैन सादिक ने परियोजना की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और स्थानीय गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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