भाषा एवं संस्कृति विभाग, हिमाचल प्रदेश द्वारा आज दिनांक 25.02.2022 को प्रातः 3ः00 बजे हिमाचली लोकगाथाओं पर आधारित राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन गेयटी थियेटर के सभागार में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ. वाई. एस. परमार पीठ हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डाॅ० ओम प्रकाश शर्मा ने की। इस कार्यक्रम में हमीरपुर के स्वतंत्रता सेनानी स्व० पं० जय राम की पत्नी श्रीमती दुलंभी देवी व पुत्री श्रीमती अनिता देवी को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में प्रदेश के दिवंगत साहित्यकार नवीन हल्दूणवी, जयदेव किरण, प्रो. केशव शर्मा, कमल हमीरपुरी तथा मोहन राठौर को दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गई। विभाग के अतिरिक्त निदेशक सुरेश जस्वाल ने सभागार में उपस्थित समस्त साहित्यकारों का स्वागत किया व आयोजन के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन विभाग के सहायक निदेशक(भाषा) श्रीमती कुसुम संघाईक द्वारा किया गया।

इस राज्य स्तरीय समारोह में कांगड़ा के वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ० गौतम व्यथित द्वारा ‘‘हिमाचल प्रदेश की लोकगाथाओं में स्वतंत्रता संग्राम के स्वर’’ विषय पर तैयार शोध पत्र को कांगड़ा के साहित्यकार ने श्री दुर्गेश नंदन ने प्रस्तुत किया। डाॅ गौतम व्यथित ने अपने इस शोध पत्र में हिमाचल के जिला कांगड़ा की प्रचलित लोकगाथाओं का वर्णन किया व साथ ही प्रदेश मे घटित हुई स्वतंत्रता संग्राम के प्रदेश आंदोलनों के बारे में भी बताया। पत्र में उन्होंने ‘राजा जगता पठाणियां की वार’ तथा ‘नूरपुर के बजीर रामसिंह पठाणियां की बार’ को लोकगाथाओं के रूप में प्रस्तुत किया गया। इस शोध पत्र पर प्रदेश भर के वरिष्ठ साहित्यकारों में शिमला से सुश्री सुदर्शन वशिष्ठ ,अमित चैहान, कांगड़ा से दुर्गेश नंदन, सोलन से अमर देव अंगीरस व नेमचंद बर्मा, सिरमौर से,दलीप वशिष्ठ व बलवंत सिंह, मंडी से हिमेन्द्र बाली, हमीरपुर से ओम प्रकाश शर्मा, व मनीष कुमार शर्मा, कुल्लू से सूरत ठाकुर व दीपक चंद शर्मा, बिलासपुर से रामलाल पाठक ,अरूण डोगरा रीतू व सीताराम धीमान, ऊना से डाॅ बालकृष्ण सोनी ने पत्र पर परिचर्चा की। अमर देव अंगीरस ने परिचर्चा में भाग लेते हुए सिरमौर, कांगड़ा तथा बिलासपुर के वीरों का गुणगान लोकगाथाओं के माध्यम से किया।

डाॅ० . बाल कृष्ण सोनी ने वीरविक्रम की गाथा का जिक्र किया। दलीप वशिष्ठ ने वैद्य सूरत सिंह जी की पझौता आंदोलन से संबंधित लोकगाथा सुनाई। सूरत ठाकुर ने कुंवर प्रताप सिंह की वीरता पर लोकगाथा सुनाई। डाॅ० . हिमेन्द्र बाली ने नेपथ्य नायक सीतलू का जिक्र किया। सुदर्शन वशिष्ठ ने राजा हरिचंद, चंद्रभान तथा संसार का जिक्र किया जिसमें चंद्रभान ने गुरिल्ला नीति से मुगलों का मुकाबला किया और संसारचंद के वंशज ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ीं। कांगड़ा में राम सिंह पठानियां की लोकगाथा आज भी प्रचलित है। अंत मेें लेखक गोष्ठी के अध्यक्ष हिमाचल के प्रसिद्ध साहित्यकार व अध्यक्ष, डाॅ० . वाई. एस. परमार पीठ हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के डाॅ० ओम प्रकाश शर्मा ने कार्यक्रम में उपस्थित समस्त साहित्यकारों द्वारा की गई परिचर्चा की प्रशंसा की तथा विभाग द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी को ऐतिहासिक बताया। उन्होेंने इन लोकगाथाओं में इतिहास के प्रसंग भावी पीढ़ी तक पहुँचाने की बात की। इस लेखक गोष्ठी में हिमाचल प्रदेश के लगभग 25 लेखकों ने भाग लिया। विभाग के सहायक निदेशक कुसुम संघाईक ने उपस्थित समस्त साहित्यकारों का धन्यवाद किया तथा कहा कि आने वाले समय में भी इसी प्रकार के अन्य आयोजन विभाग द्वारा करवाए जाएँगे। कार्यक्रम में दौरान विभाग के अतिरिक्त निदेशक डाॅ0 सुरेश जसवाल, सहायक निदेशक अलका कैथला, गेयटी प्रबन्धक सुदर्शन शर्मा, भाषा अधिकारी सरोजना नरवाल, ऋचा सरकैक तथा अन्य विभागीय अधिकारी व कर्मचारी भी उपस्थित रहे।

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