
एक चांद आसमान पे होगा,
एक चांद जमीन पे होगा,
प्रिय का दिल अपनी प्रियतम पे,
देखो किस तरह लोट पोट होगा।
चकोर जैसे निहारे चांद को,
वैसे निहारे हरपल प्रियतम अपने प्रिय को,
एक नज़ारा आसमान पे होगा,
एक नज़ारा जमीन पे होगा।
एक मुलाकात चांद की जैसे तारों से होगी,
वैसी ही मुलाकात प्रियतम और प्रिय के आंखों से प्यार की होगी,
चांद तारे जैसे चांदनी से जगमगातें है,
प्रिय प्रियतम भी वैसे ही प्रेमधुन में को जातें है।
करवाचौथ के चांद की बात ही निराली होती है,
आसमान पे मानो चांद तारों की होली होती है,
तो जमीन पे प्रिय– प्रियतम की दिवाली होती है।