आदमी और दौड़ : डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा

जीवन के हर छोर से
हर मोड़ से
हर दौड़ में
भाग रहा है
आदमी !

हर बात में
किसी भी हालत में
मात पे मात दिए जा रहा है
खुद आदमी को
आदमी !

जीवन के हर छोर से
हर मोड़ से
हर दौड़ में
भाग रहा है
आदमी !

भूख नहीं
भूखा भी नहीं
भर पेट है ,लेकिन
फिर भी मुंह की
मुंह से छीने जा रहा है
आदमी !

जीवन के हर छोर से
हर मोड़ से
हर दौड़ में
भाग रहा है
आदमी !

इधर से तो
कुछ उधर से
सब कुछ निगल के
फिर भी लार टपक रहा है
आदमी !

जीवन के हर छोर से
हर मोड़ से
हर दौड़ में
भाग रहा है
आदमी !

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