कभी मां को सताए तो नटखट है कृष्ण
कभी गायों को चराए तो ग्वाला है कृष्ण
मीरा का गिरिधर गोपाल भी तो है कृष्ण
मुकुट पहने तो द्वारकाधीश है मेरा कृष्ण
मेरे सभी दुख हारने वाला हरि भी तो है कृष्ण
मनोहर, मुरलीवाला, श्याम, माधव, मनमोहक है मेरा कृष्णा
अर्जुन का सारथी हे कृष्ण
जगत को गीता का पाठ पढ़ाने वाला है कृष्ण
मधुर कंठ और कमल नयन वाला है कृष्ण
शत्रुओं का काल और अपने भक्तों के लिए
छोटा सा नंद गोपाल है मेरा कृष्ण
इस जगत का स्वामी और पालनहार है कृष्ण
अपने सखाओं को बांसुरी की धुन पर नचाने वाला है कृष्ण
मां से छुपकर माखन खाए तो नटखट माखन चोर है कृष्ण
उसकी कौन व्याख्या कर पाया है क्योंकि
स्वयं विष्णु का अवतार है कृष्ण ।।