हिमाचल प्रदेश सरकार किसानों और पशुपालकों के लिए योजनाबद्ध प्रयासों के माध्यम से राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार ने शुक्रवार को आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक में कहा कि पशुधन और कृषि एक-दूसरे के पूरक हैं और दोनों क्षेत्रों में सुधार से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। बैठक में पशुपालन विभाग की विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की गई और अधिकारियों को फील्ड में सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिए गए। मंत्री ने स्पष्ट किया कि फील्ड विज़िट्स न करने वाले पशु चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, ताकि किसानों को घर द्वार पर पशु स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। राज्य में वर्तमान में 44 मोबाइल वेटनरी यूनिट्स रोज़ाना औसतन 5.36 मामलों का इलाज कर रही हैं।
बैठक में मंत्री ने “पहल योजना” (Pastoralists Empowerment through Holistic Ecosystem for Livelihoods) की घोषणा की, जो गद्दी, गुज्जर जैसे पारंपरिक चरवाहों को समर्पित एक समग्र योजना है। इस योजना के तहत 294.36 करोड़ रुपये की लागत से चरवाहों को डिजिटल पंजीकरण, नस्ल सुधार (GAURI), सब्सिडी व बीमा (PALASH), वेटनरी सेवाएं (VAIDH) और पशु आधारित स्टार्टअप (DHARA) जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इससे प्रदेश के लगभग 40,000 चरवाहा परिवारों को लाभ मिलने की उम्मीद है और हिमाचली ऊन को GI टैग दिलाने के प्रयास भी किए जाएंगे। योजना का प्रारूप केंद्र सरकार को भेजा गया है।
इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार 4 अक्टूबर 2025 से “दूध प्रोत्साहन योजना” शुरू करने जा रही है, जिसके तहत पात्र डेयरी सहकारी समितियों के माध्यम से दूध बेचने वाले किसानों को DBT के माध्यम से 3 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दी जाएगी। यह योजना किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी। अब तक 533 ग्राम पंचायतों में से 331 में डेयरी सोसायटी स्थापित की जा चुकी हैं, और अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार की योजना है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि जिन पंचायतों में सोसायटी नहीं बनानी है, उन्हें प्रस्ताव पारित करके देना होगा।
राज्य सरकार ब्रॉयलर पोल्ट्री को भी बढ़ावा दे रही है। पिछले वर्षों में इसमें 52% की वृद्धि दर्ज की गई है। आगामी पांच वर्षों में 1000 ब्रायलर पोल्ट्री यूनिट्स स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 83.05 करोड़ रुपये का खर्च प्रस्तावित है। इसमें किसानों को 30% सब्सिडी दी जाएगी, जिससे 14.4 मिलियन बर्ड्स का उत्पादन और 18.32 करोड़ रुपये की सालाना आय सुनिश्चित होगी। इससे 10,200 से अधिक रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
बैठक में पशुपालन सचिव रितेश चौहान, निदेशक डॉ. संजीव धीमान, वूल फेडरेशन और मिल्क फेडरेशन के प्रबंधन निदेशक समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। मंत्री ने पशुपालन विभाग के ढांचे के पुनर्गठन, अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती, और सभी आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही, विभाग के भीतर एक स्टडी ग्रुप के गठन का भी प्रस्ताव रखा गया जो योजनाओं की क्रियान्वयन प्रक्रिया को सुधारने के लिए सुझाव देगा। इन प्रयासों से हिमाचल प्रदेश में किसानों की आय में वृद्धि और राज्य के पशुपालन क्षेत्र में समग्र विकास की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति होने की उम्मीद है।