भीम सिंह, गांव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।

खिले फूल को देखकर
कुछ सोच कली शरमाई
यौवन आज उसका भी
देख लेने लगा अंगड़ाई ।

यह कैसी मस्ती छाई
कली दिल ही दिल बोले
किसी के मधुर मिलन को
आज क्यों मनवा मेरा डोले ।

कल जब भंबरा आयेगा
प्रेम गीत गुनगुनायेगा
मैं उसमें खो जाऊंगी
वह मुझ में खो जायेगा।

यह कैसी सृष्टि रचाई
कली मन में विचार करे
यह यौवन की मस्ती ही
इस जग का आधार बने।

यह ही जीवन सत्य है
यह ही जीवन का दस्तूर
चार दिन की मस्ती ही
रखती सृष्टि को भरपूर।

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