2 अक्टूबर का दिन दो महान हस्तियों की जयंती का दिन है, अर्थात इस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। दोनों ही सीधे-सादे, सत्य और अहिंसा के पुजारी, गरीबों के मसीहा, सच्चे क्रांतिकारी और पक्के देशभक्त थे।
इस आलेख में मैं स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी की चर्चा कर रहा हूं। शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को माता श्रीमती राम दुलारी और पिता शरद प्रसाद श्रीवास्तव के घर, बनारस के निकट मुगल सराय में हुआ था। जब वे मात्र डेढ़ वर्ष के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया। इसके बाद उनका पालन-पोषण ननिहाल में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के लिए बनारस में अपने चाचा के घर पर रहकर पढ़ाई की।
शास्त्री जी, महात्मा गांधी के विचारों से अत्यधिक प्रभावित थे और 16 वर्ष की आयु में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने 1927 में ललिता देवी से विवाह किया। 1930 में महात्मा गांधी द्वारा नमक सत्याग्रह में भी शास्त्री जी ने हिस्सा लिया और इसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।
शास्त्री जी की क्रांतिकारी गतिविधियों को देखते हुए 1946 में उन्हें उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया। बाद में वे गृहमंत्री बने और 1951 में केंद्रीय मंत्रीमंडल में विभिन्न विभागों का नेतृत्व किया। उन्होंने रेल मंत्री रहते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था, जब एक रेल दुर्घटना हुई थी। पंडित नेहरू ने शास्त्री जी की विनम्रता और दृढ़ता की बहुत सराहना की।
लाल बहादुर शास्त्री जी की 30 वर्षों की सेवा ने उन्हें जन-जन में पहचान दिलाई। उनके दिए “जय जवान जय किसान” नारे ने देश के जवानों और किसानों को सम्मानित किया। उन्होंने देश की खाद्यान्न संकट को हल करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनकी भूमिका को भी भुलाया नहीं जा सकता। ताशकंद समझौते के बाद, 11 जनवरी 1966 की रात, उनकी मृत्यु हृदय गति रुकने के कारण हुई, हालांकि परिस्थितियां रहस्यमय बनी रहीं। मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। शास्त्री जी की सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी को देश हमेशा याद रखेगा। उनकी जयंती पर शत-शत नम