मम्मी पापा इंतजार करते हैं (बाल कहानी)
रणजोध सिंह

रात के साड़े दस बज चुके थे मगर बिन्नी अभी तक घर नहीं पहुंचा था | पति-पत्नी दोनों को चिंता होना लाजमी था, उनका बेटा बिन्नी जो कॉलेज में पढ़ता था, आज से पहले कभी इतनी देर घर से बाहर नहीं रहा था | पति ने पत्नी से बेटे को फोन लगाने के लिए कहा तो पत्नी ने बताया, “आज उसके अभिन्न मित्र का जन्मदिन है, बिन्नी मुझे बता कर गया है कि वह लेट आएगा |” इतना कहकर वह जैसे ही फोन लगाने को तत्पर हुई बिन्नी का फोन आ गया | उसने बिना किसी भूमिका के कहा, “मम्मी पार्टी थोड़ी लंबी चलेगी, आप सो जाओ, पिछले वाले कमरे की कुंडी खुली रखना मैं वहां से अंदर आ जाऊंगा |” इतना कहकर बिन्नी ने फोन काट दिया और एकदम निश्चित हो गया |

वह जब घर पहुंचा उस समय रात का डेड बज चुका था मगर उसे हैरानी तब हुई जब उसने देखा कि घर की सारी बत्तियां जली हुई थीं और उसके मम्मी-पापा उसका इंतजार कर रहे थे | उसकी मम्मी ने आते ही उसे पीने के लिए पानी दिया और पापा ने पूछा, “और पार्टी कैसी रही?” “एकदम मस्त |” बिन्नी केवल इतना ही बोल पाया था| मां ने स्नेहपूर्वक पूछा, “बेटा कुछ खाओगे ?” बिन्नी ने हंसकर कहा, “नहीं पहले ही पार्टी में कुछ ज्यादा खा लिया है, पार्टी इतनी लंबी चलेगी इस बात की उम्मीद नहीं थी |

मम्मी हंसते हुए बोली, “कोई बात नहीं, रात बहुत अधिक हो गई है अभी सो जाओ सवेरे बात करेंगे |” मगर अगले रोज़ बिन्नी के मम्मी-पापा ने इस बारे में कोई बातचीत नहीं की | कुछ दिन बाद एक बार फिर बिन्नी के किसी अन्य दोस्त का जन्मदिन आ गया मगर बिन्नी ने अपने दोस्तों को साफ-साफ कह दिया कि यदि पार्टी दिन को होगी तो वह आएगा मगर रात की पार्टी में वह हरगिज शामिल नहीं होगा क्योंकि मम्मी-पापा उसका इंतजार करते हैं |

औरत की रोटी (लघु-कथा)

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