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जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

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सारा पंडाल दर्शकां या फेरी भक्तजना ने पुरी तरह भरीरा था| स्वामी जी चिट्टे कपड़े पैनी ने, मथे पर चंदन-रोलीया रा टीका लगाई ने जिंदगीया रे गूड़ रहस्यां रा पर्दाफाश करने...
जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

चालान: रणजोध सिंह की कहानी

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प्रोफेसर मदन अपनी निजी कार में मुन्नी बेगम की गज़लें सुनते हुए घर से कॉलेज जा रहे थे| अचानक एक पुलिस कर्मी ने हाथ के इशारे से गाड़ी को रोकने का...
जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

टूटी: रणजोध सिंह की कहानी

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पुनीत ने एम.बी.बी.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण कर डॉक्टर की नौकरी प्राप्त कर ली थी मगर उसे पहला ही स्टेशन हिमाचल प्रदेश का दूरवर्ती क्षेत्र काज़ा मिला था| वैसे तो हिमाचल का...
जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

स्वच्छता का संकल्प (प्रेरक प्रसंग): रणजोध सिंह

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उस दिन स्कूल में पर्यावरण दिवस मनाया गया था| सभी बच्चों ने अध्यापकों की देख-रेख में स्कूल से लेकर बाजार तक एक जोरदार रैली निकाली जिसमें स्थानीय लोगों को अपने घर...
जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

वह हँसती क्यों है: रणजोध सिंह की लघुकथा

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हर समय खिल-खिलाने वाली नंदिनी के बारे में कॉलोनी के लोग इतना ही जानते थे कि वह एक निजी कम्पनी में काम करती है और अकेली रहती है| वह न केवल...
जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

पिता जी का कड़ाह-प्रेम: रणजोध सिंह

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शिवांग ने अपना पुराना पुश्तैनी घर तुड़वा कर आधुनिक शैली के भव्य-भवन में परिवर्तित कर लिया l पुराने घर में वर्षो से संभाल कर रखा हुआ सारा सामान उसने रद्दी-वाले के...

दस्वंध : साधूता में छुपा सच

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अनंत का आज चालीसवा जन्मदिवस था | अधिकतर वह अपना जन्मदिवस परिवार के सदस्यों संग किसी नामी - गिरामी रेस्तरा में मनाता था लेकिन सर्वप्रथम ईश्वर का धन्यवाद करने मंदिर अवश्य...
जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

‘खिड़की वाली सीट’: रणजोध सिंह

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रमेश आज अत्यंत प्रसन्न था, होता भी क्यों न, लम्बे समय के बाद उसे मित्रों संग मां वैष्णो के दरबार में जाने का अवसर मिला था| रमेश को बस में बैठकर...
जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

जिम्मेदारी का एहसास

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रोहण की उम्र अभी मात्र पच्चीस वर्ष की ही हुई थी कि वह बीमार रहने लगा| अबिलम्ब उसके पिता श्री उसे अच्छे अस्पताल में लेकर गए| योग्य डॉक्टर ने उसके अनेक...
जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

दो सहेलियाँ — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह बहुत कम लोग होते हैं जो अपने बचपन के दोस्तों के साथ ताउम्र रिश्ता बनाये रखते हैं, खासतौर पर लडकियाँ | लेकिन पाखी और महक इस का अपवाद थी |...

गणित दोस्ती का — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह अंकित रात भर सो ना पाया था | मस्तिष्क में स्मृतियाँ किसी चल चित्र की भांति चल रही थीं | उसने देखा राजू उसका सबसे प्रिय मित्र है, जिसके साथ...
खिल सकते है दबे हुए मसले हुए फूल शर्त ये है उन्हें सिने से लगाना होगा|

रोटी माँ के हाथ की — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह श्यामली के बार-बार समझाने पर भी उसका पति निखिल अंतिम समय तक अपने बुजुर्ग माँ-बाप को यह न बता पाया कि वह सदा-सदा के लिए विदेश जा रहा है |...