हिमाचल प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने शुक्रवार को केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्य मंत्री जयंत चौधरी से नई दिल्ली में शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान धर्माणी ने हिमाचल में ड्रोन तकनीक के बढ़ते महत्व को रेखांकित करते हुए, राज्य में ड्रोन तकनीक पर आधारित एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने हेतु केंद्रीय सहायता का अनुरोध किया।
उन्होंने बताया कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में आपदा प्रबंधन, कृषि, बागवानी और स्वास्थ्य सेवाओं में ड्रोन तकनीक की उपयोगिता तेजी से बढ़ रही है और इसे सशक्त करने के लिए केंद्र सरकार की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है।
मंत्री धर्माणी ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के उन्नयन, नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत, और गुणवत्तापूर्ण उद्यमिता विकास हेतु केंद्र की 60,000 करोड़ रुपये की योजना में हिमाचल जैसे राज्य को वित्तीय छूट देने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्य की भौगोलिक और आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, योजना में लचीलापन आवश्यक है।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY 4.0) के तहत हिमाचल के निजी प्रशिक्षण भागीदारों को शामिल करने और प्रशिक्षण लक्ष्यों को लचीला बनाए जाने की भी मांग की। साथ ही, वोकेशनल शिक्षा ग्रहण कर रहे स्कूली बच्चों को मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे उन्हें भविष्य में व्यावसायिक कोर्सों में प्रवेश में सहूलियत मिल सके।
धर्माणी ने यह भी अवगत कराया कि सामुदायिक विकास पॉलिटेक्निक्स योजना के अंतर्गत हिमाचल के छह पॉलिटेक्निक संस्थानों को वर्ष 2023-24 और 2024-25 के लिए अनुदान नहीं मिला है। उन्होंने इस योजना के तहत शीघ्र वित्तीय सहायता जारी करने और आगामी वर्ष 2025-26 के लिए नए संस्थानों का चयन करने का भी अनुरोध किया।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने हिमाचल सरकार द्वारा प्रस्तुत सभी मुद्दों पर सकारात्मक सहयोग और हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।