
(हि0 प्र0) शिमला हिल्ज, जुन्गा द्वारा डीएनए प्रोफाइलिंग और फोरेंसिक विष विज्ञान के लिए जैविक नमूनों के संग्रह और संरक्षण पर एक दिवसीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन दिनांक 13.03.2025 को किया गया। यह कार्यशाला हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए चिकित्सा अधिकारियों के लिए आयोजित की गई, ताकि बायोलॉजिकल एवं भौतिक साक्ष्यों को डीएनए प्रोफाइलिंग और फॉरेंसिक टॉक्सिकोलॉजी के रासायनिक परीक्षण के लिए एकत्रित किए जा सके।
हिमाचल प्रदेश फॉरेंसिक विकास बोर्ड की 9 वीं बैठक दिनांक 20.08.2024 को माननीय मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश श्री. सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई जिसके तहत फोरेंसिक विज्ञान से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई और यह कार्यशाला भी इस प्रोग्राम के तहत आयोजित की गई । कार्यक्रम का शुभारंभ डाॅ. मीनाक्षी महाजन, निदेषक, निदेषालय फाॅरेंसिक सेवाएँ, हिमाचल प्रदेष ने किया ।
उन्होने अपने संबोधन में कहा कि आज के युग में डीएनए की महत्वता बहुत बढ़ गई है इसलिए चिकित्सा अधिकारियों द्वारा हत्या एवं बालात्कार जैसे संगीन मामलों में साक्ष्यों को एकत्रित करके संरक्षित करके अन्वेषण अधिकारियों को सौंपना एक अहम जिम्मेवारी बन गई है। इसलिए चिकित्सा अधिकारियों को जघन्य अपराधों से संबंद्धित मोमलों में नवीनतम जानकारी अत्यंत आवष्यक है।
राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में फॉरेंसिक की अलग-अलग विशेषताओं से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम पुलिस अन्वेषण अधिकारियों, चिकित्सा अधिकारियों, अभियोजन अधिकारियों तथा नए भर्ती हुए जजों को समय-समय पर आयोजित किए जाते है ताकि आपराधिक जांच और न्यायालिक विज्ञान के मानकों को सुनिश्चित किया जा सके।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) कानून की धारा 176(3) के अनुसार जिन आपराधिक मामलों में 7 साल की सजा के प्रावधान है उनमें फॉरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल का दौरा और साक्ष्य एकत्रित करना आवश्यक कर दिया गया है। इस कार्यशाला के आयोजन से हिमाचल प्रदेश के चिकित्सा अधिकारियों को अपराध संबंधित बारीकियों से अवगत करवाया गया।