बू : डॉo कमल केo प्यासा
बू गंदगी की गलने की सड़ने की चाहे हो दूषित खाद्यानों की या ऋणात्मक सोच विचारों की !बू आ ही जाती है, अंतर...
भोले शिव की शिवरात्रि: डॉo कमल केo प्यासा
त्यौहार कोई भी क्यों न हो ,उसकी प्रतीक्षा तो रहती ही है और फिर कई कई दिन पहले ही त्यौहार को मनाने की तैयारियां...