बारिश — नवनीत कालिया
नवनीत कालिया, शिमलागर्मी के दिन, बालकोनी में बैठा,
तपती धरती को देख रहा था,
जो इस उम्मीद से,
ऊपर आसमां को देख,
अपने अंदर एक आस संजोये,
अपनी प्यास...
मैं, इस बात से अनजान, अनभिज्ञ — नवनीत कालिया
नवनीत कालिया, शिमला कितना कुछ था ज़िन्दगी में, जब covid नहीं था।
Covid, इतना बेरहम, इतना निर्देयी।
मैं, इस बात से अनजान, अनभिज्ञ।।
बस, अपनी मासूमियत में, इस...