अपना गांव तो आजकल गुलसितां है लगता – रवींद्र कुमार शर्मा
अपना गांव तो आजकल गुलसितां है लगताहर तरफ रंग बिरंगे फूलों का बाजार है सजताजिधर भी नज़र दौड़ाएं फूल ही फूल हैं नज़र आतेहर...
आ गया बसंत ऋतुओं का सरताज – रवींद्र कुमार शर्मा
आ गया बसंत ऋतुओं का सरताजडाली डाली फूल लगे हैं खिलनेप्रेम रस नस नस में है बहने लगाआतुर है सजनी साजन से मिलनेभंवरों की...