July 30, 2025

Tag: प्रो. रणजोध सिंह

spot_imgspot_img

जहां चाह वहां राह (लघुकथा) – प्रो. रणजोध सिंह , सोलन

  प्रो. रणजोध सिंह - सोलन लता हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के एक छोटे से गांव में सातवीं कक्षा की छात्रा थी| उसका स्कूल केवल...

भेडू- एक संस्मरण

मूल लेखक: प्रो. रणजोध सिंहअनुवाद: जीवन धीमान शरद ऋतु का सुहाना दिन था, मैं अपने दो अभिन्न मित्रों प्रो. तोमर और प्रो. राणा के...

खुलकर मुस्कुराया करो

प्रो. रणजोध सिंह  हर वक्त संजीदा रहना कोई अच्छी बात नहीं खुलकर मुस्कुराया करो। बारिशों का मौसम है जनाब! कभी-कभी थोड़ा भीग भी जाया करो। माना इस जहाँ में पूरी नहीं होती...

चांटा — प्रो. रणजोध सिंह

प्रो. रणजोध सिंह जोगी उम्र के उस पड़ाव पर था जहाँ पर बच्चे सारा दिन मस्ती करने के पश्चात घर आकर माँ-बाप पर रौब जमाते...

मैं सिर्फ दवाई देता हूं — प्रो. रणजोध सिंह

प्रो. रणजोध सिंह बड़े अस्पताल के डॉक्टरों ने मुझे साफ-साफ बता दिया कि तुम्हारे पिताजी को कैंसर है जो अपनी अंतिम अवस्था में पहुंच गया...

आंवले का पेड़ — प्रो. रणजोध सिंह

प्रो. रणजोध सिंह, सन विला फ्रेंड्स कॉलोनी, नालागढ़, जिला सोलन, हिमाचल प्रदेश इस अलौकिक दुनिया में प्रत्येक आदमी के यूं तो अनेक सपने होते हैं...

Daily News Bulletin