गागर में सागर भरने का नाम है लघुकथा – रणजोध सिंह
लघुकथा का ज़िक्र आते ही ज़ेहन में उस सारगर्भित कहानी का चित्र उभरता है जो अपनी बात सीधे-सीधे बिना किसी विस्तार से, बिना किसी...
सुनहरे पल (लघुकथा)
रणजोध सिंहशर्मा जी एक साधन संपन्न परिवार के मुखिया थे| उनके घर के हर कमरे में पंखा तथा ऐ.सी. (वातानुकूलक यंत्र) लगा हुआ था|...
बेकार की बातें (लघुकथा)
रणजोध सिंहहर कवि मंच पर आते ही औपचारिकतावश सर्वप्रथम आयोजकों का धन्यवाद व तारीफ़ कर रहा था, विशेष रूप से मुख्य आयोजक की।...
उच्च शिक्षा: एक लघुकथा
रणजोध सिंह“बेटा मन लगाकर पढ़ाई करो और जल्दी से अपने पैरों पर खड़ी हो जाओ ताकि तुम्हें किसी की गुलामी न करनी पड़े।”...
गाय-दान: एक लघुकथा
रणजोध सिंहगुप्ता जी की बयानबे वर्षीय माताश्री मृत्यु शय्या पर थी। पिछले चार-पांच दिन से उन्हें कई बार यह सोचकर जमीन पर लिटाया गया...
गलती का एहसास
रणजोध सिंह द्वारा रचित लघुकथाउस दिन मैं कार की फ्रंट सीट पर बैठा हुआ प्रकृति के सुंदर नजारों का आनंद ले रहा था...