July 1, 2025

Tag: शायरी

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तुम कहां चले गए, याद बहुत आती है: डॉo कमल केo प्यासा

क्या कहूं कैसे कहूं किसे बताऊं कैसे बताऊं अंदर की बात तुम थे कुछ खास तुम ही याद आए ! किसे बताऊं किसे सुनाऊं...

भावनाओं का सफर — कविताएँ

डॉ कमल के प्यासा हिलोरे जीवन चक्र केझूले में,झूल हर कोई हिलोरे लेता है।कोई कमकोई अधिक,बस अपने कर्मों काफल वसूल लेता है ! रिश्ते रिश्तों के जंगल...

पेट : डॉo कमल केo प्यासा

प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा पेट की जात नहींपात नहीं,रंग भेद की बात नहींबाहर भीतर दांत नहींइतना सा पेट,इतना खाता इतना खातासारा...

पिता : डॉक्टर जय महलवाल द्वारा रचित एक कविता

मां अगर घर की ईंट है,तो पिता समझो पूरा मकान है।मां अगर संस्कार देने वाली है,तो पिता गुणों की खान है।मां अगर अगर करती...

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