इतनी सी हमदर्दी — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
संध्या अपने रोते-बिल्खते नन्हे शिशु को किसी तरह नौकरानी के हवाले कर, हांफते हुए बस-स्टैंड पहुँची, परन्तु बस पहले ही निकल चुकी थी...
चांटा — प्रो. रणजोध सिंह
प्रो. रणजोध सिंह
जोगी उम्र के उस पड़ाव पर था जहाँ पर बच्चे सारा दिन मस्ती करने के पश्चात घर आकर माँ-बाप पर रौब जमाते...
लाडला टीटू — रणजोध सिंह
रणजोध सिंहसाधारण परिवार से संबंध रखने वाले टीटू के पिता जी लोहार का कार्य करते हुए किसी तरह घर की दाल-रोटी चला रहे थे...