Tag: Ranjhod Singh
खुशियों की चाबी — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
श्याम प्रसाद जी अपने तीनों पुत्रों, पुत्र-वधुओं तथा पोते-पोतियाँ संग सड़क पर खड़े होकर अपने भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए बस का इन्तजार कर रहे थे |...
“आज़ाद हवायें” — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
बेशक तुम आज़ाद
हवाओं में साँस लेते हो|
मन चाहा खाते हो
मन चाहा पीते हो|
नहीं गुलाम
किसी तानाशाह के
लोकतंत्र की छांव में
अपनी मर्जी से जीते हो|
मगर याद रखना ऐ दोस्त
यहाँ कुछ भी चीज़...
अभाव की राजनीति (बाल कहानी) — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
सिद्धार्थ जी, यूं तो सरकारी स्कूल में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक थे, मगर फिर भी गांव के लोग उन्हें मास्टर जी तथा बच्चे गुरु जी कहकर ही पुकारा करते थे...
उपहास (कहानी) — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
मई का महीना था| शिमला का माल रोड सदा की भांति सैलानियों से भरा हुआ था| कंबरमियर पोस्ट ऑफिस के पास इंदिरा गांधी युवा खेल परिसर में सैलानियों को आकर्षित...
बटन — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
हमारे देश में माता-पिता और गुरु को देवताओं के समकक्ष रखा गया है | इनमें भी माता का दर्जा सबसे महान है क्योंकि हर माँ हर हाल में अपने बच्चों...
इतनी सी हमदर्दी — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
संध्या अपने रोते-बिल्खते नन्हे शिशु को किसी तरह नौकरानी के हवाले कर, हांफते हुए बस-स्टैंड पहुँची, परन्तु बस पहले ही निकल चुकी थी | अभी तक तो उसके कानो में...
चांटा — प्रो. रणजोध सिंह
प्रो. रणजोध सिंह
जोगी उम्र के उस पड़ाव पर था जहाँ पर बच्चे सारा दिन मस्ती करने के पश्चात घर आकर माँ-बाप पर रौब जमाते हैं कि वो कॉलेज में पढ़कर आए...
लाडला टीटू — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
साधारण परिवार से संबंध रखने वाले टीटू के पिता जी लोहार का कार्य करते हुए किसी तरह घर की दाल-रोटी चला रहे थे | उनकी तीव्र इच्छा थी कि उनका...