Tag: short story
दो सहेलियाँ — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
बहुत कम लोग होते हैं जो अपने बचपन के दोस्तों के साथ ताउम्र रिश्ता बनाये रखते हैं, खासतौर पर लडकियाँ | लेकिन पाखी और महक इस का अपवाद थी |...
गणित दोस्ती का — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
अंकित रात भर सो ना पाया था | मस्तिष्क में स्मृतियाँ किसी चल चित्र की भांति चल रही थीं | उसने देखा राजू उसका सबसे प्रिय मित्र है, जिसके साथ...
“फ्लाइंग किस” किस के लिए? जो पकड़ ले उसके लिए
मनमोहन सिंह
कुछ दिन पहले हमारे ज्ञान में इज़ाफ़ा हुआ। हमें पता चला की नारी की अस्मत पर सबसे खतरनाक हमला "फ्लाइंग किस" नामक जदीद हथियार से ही होता है। हम अभी...
रोटी माँ के हाथ की — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
श्यामली के बार-बार समझाने पर भी उसका पति निखिल अंतिम समय तक अपने बुजुर्ग माँ-बाप को यह न बता पाया कि वह सदा-सदा के लिए विदेश जा रहा है |...
शिष्टाचार — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
भोला राम जिसे प्यार से गाँव के सभी लोग भोलू कहकर पुकारते थे, आरम्भ से ही न केवल कुशाग्र बुद्धि का स्वामी था अपितु अत्याधिक मेहनती भी था | यही...
संतुलन — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
शिमला जैसे सर्द शहर में, सर्दी की परवाह किये बगैर विनय अपने कमरे में बठकर कंप्यूटर के साथ माथा-पच्ची कर रहा था जबकि उसकी पत्नी और बच्चे बाहर खिली हुई...
खुशियों की चाबी — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
श्याम प्रसाद जी अपने तीनों पुत्रों, पुत्र-वधुओं तथा पोते-पोतियाँ संग सड़क पर खड़े होकर अपने भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए बस का इन्तजार कर रहे थे |...
उड़ान — रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
विवाह के लगभग तीन साल बाद केसरो अपने गांव की सबसे सुघड़ महिला जिसे सभी लोग प्यार से ‘मौसी’ कहते थे, से मिलने आई थी | अकसर बेटियाँ विवाह उपरांत...
आचरण — लघु कथा; रणजोध सिंह
रणजोध सिंह
उस दिन स्कूल में वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह था, प्रधानाचार्य राम प्रकाश जी ने ओजस्वी भाषण देते हुए स्पष्ट किया, “लोग हमारी बातों से नहीं, हमारे आचरण से सीखते हैं,...
Golden Radiance and Silver Luminescence: A Love Story
Khushboo Agrahari, New Delhi
Once upon a time, in a celestial realm far beyond the reach of humanity, there existed a magical love story between the Moon and the Sun. They were...
जल्लाद बुढ़िया — जयवन्ती डिमरी
जयवन्ती डिमरी
आज सुबह शोरगुल से फिर उसकी नींद खुल गयी। खिड़की खोलकर बाहर झांका। बिल्कुल घुप्प अंधेरा था। उसने जी-भर कर इस मोहल्ले को कोसा। चार पैसे बचाने के चक्कर में...
कागज़ की नांव — डॉ उषा बन्दे
डॉ उषा बन्दे
बाहर मुसलाधार बारिश हो रही थी। लंच ब्रेक की घंटी बजी। बच्चों को ताकीद मिली कि लंच ब्रेक में कोई भी बाहर नहीं जाएगा। कक्षा में बैठकर ही खाना खाएं।...