क्या कहूं
कैसे कहूं
किसे बताऊं
कैसे बताऊं
अंदर की बात
तुम थे कुछ खास
तुम ही याद आए !
किसे बताऊं
किसे सुनाऊं
जी तुम बिन है उदास
कैसे किस से खोलूँ
दिल के राज
तुम में थी कुछ बात
तुम बहुत याद आए !
मेरे मीत मेरे हमदम
साथी मेरे ,मेरे प्यार
मंद मंद लिए मुस्कान
चुपके कहां निकल गए,
ले के सारे दिल के राज !
रहती सताती याद है तेरी
तुम कहां किधर चले गए !
मीत सज्जी है महफिल
पर हो तुम कहां
शून्य में खोया
में बहुत रोया,
कोरा कागज़
खाली खाली
आलम सारा उदास
करता आभास
तुम नहीं पास !
तुम में थी
कुछ तो बात
आती है तुम्हारी याद,
किसे बताएं
सुनाएं कैसे दिल की बात
निकल पाए अंदर की भड़ास !
नहीं रहा साथ
किसे पुकारूं
किसे बुलाऊं
किस पर करूं विश्वाश,
नहीं रही वो बात
तुम्हीं में थीं कुछ बात
तुम फिर याद आए
मीत मेरे ,मीत आ जाओ
आ के कर लो बस इक बात !