उमा ठाकुर, स्पेशल कीकली रिपोर्ट, 19 दिसंबर, 2018, शिमला
‘मंथन’ साहित्य मंच ने कुमारसैन के आईटीआई सभागार में प्रथम काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जिसमें शिमला से 12 सहित्यकारों का काफिला हिमालय मंच और हिमवाणी संस्था के बैनर में समिल्लित हुआ जिसका मंथन के सदस्यों ने जोरदार स्वागत किया। आयोजन में शिमला और स्थानीय रचनाकारों ने कविताएं और पारम्परिक लोक गीत प्रस्तुत किये।
शिमला से प्रसिध्द कहानीकार व सहित्यकार एस. आर. हरनोट जिन्होंने पूरे कार्यक्रम की परिकल्पना की ने अधयक्षता की l चरचित कवि आत्मा रंजन, गुप्तेश्वरनाथ उपाध्याय, मनोज चौहान, अश्विनी कुमार, नरेश देयोग, मोनिका छट्टू ,उमा ठाकुर, कल्पना गांगटा, भारती कुठियाला, वंदना राणा, पूजा शर्मा, कुलदीप गर्ग तरुण और शिल्पा ने कविताएं प्रस्तुत की जबकि स्थानीय कवियों में अमृत शर्मा, हितेन्दर शर्मा, दीपक भारद्वाज, रोशन जसवाल, प्रतिभा मेहता, राहुल बाली, विक्रांत, स्वाति शर्मा राय ने काव्य पाठ किया।
ग्रामीण महिलाओं मधु शर्मा ज्ञानी शर्मा ने पारम्परिक विवाह गीतों और झूरी से समय बांध दिया। रितिका शर्मा और अन्य छात्रों ने लोकगीतों से सभागार में उपस्थित सभी का दिल जीत लिया। इस अवसर पर जीवन ज्योति संस्था के अध्यक्ष महावीर वर्मा, आईटीआई के प्राचार्य आशीष सरस्वती, प्राचार्य यशवंत भारद्वाज, केपीएस विद्यालय के प्राचार्य देवेंद्र वर्मा सहित साहित्यिक प्रेमी और विद्यार्थी उपस्तिथ थे। (CLICK TO SEE ALL VIDEOS)
मंथन साहित्य संस्था की परिकल्पना युवा रचनाकार दीपक भारद्वाज के साथ हितेंद्र शर्मा की थी जिसमें रोशन जसवाल, जगदीश बाली और अमृत कुमार के साथ अन्य मित्रों का सहयोग रहा। लगभग 5 घंटों तक चली इस गोष्ठी का सफल व खूबसूरत मंच संचालन जगदीश बाली ने किया। साहित्य सृजन की ये लौ गाँव की आखरी मुडेर को छू ले ताकि आने वाली युवा पीढ़ी तक लोक संस्कृति लोक परम्पराएँ जीवित रह सके। पहाडी बोली के सरक्षण और संवर्धन के लिए यह जरूरी हे की ज़्यादा से ज़्यादा पहाडी बोली यानी माँ बोली में लिखा जाए। अभिभावक की यह नेतिक जिमेदारी हे की वह अपने बच्चो को हिंदी और अगरेज़ी के अलवा पहाडी बोली का भी ज्ञान कराएं। तभी इन गोष्टी यो की सार्थकता सिध होगी।