जिला शिमला में अनुसूचित जाति / जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत जिला स्तरीय सतर्कता एवं प्रबोधन समिति की बैठक उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारियों की समीक्षा की गई और पीड़ितों को समयबद्ध न्याय एवं राहत सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया।
उपायुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे ईमानदारी और जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें और पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने में कोई कोताही न हो। उन्होंने कहा कि अधिनियम के बारे में जनजागरूकता बढ़ाना आवश्यक है ताकि पीड़ित समय रहते अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2018 से अब तक जिले में 33 मामले लंबित हैं, जबकि 1 जनवरी से 30 जून 2025 तक 9 नए मामले दर्ज हुए हैं। अधिनियम के तहत पीड़ितों को ₹85,000 से ₹8.25 लाख तक की राहत राशि दिए जाने का प्रावधान है।
अनुपम कश्यप ने यह भी कहा कि अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की जांच 60 दिनों के भीतर पूरी करना अनिवार्य है। जिला कल्याण अधिकारी को निर्देश दिए गए कि वे हर माह लंबित मामलों की अद्यतन स्थिति की जानकारी उपायुक्त को भेजें, जिससे मामलों के त्वरित निपटारे की दिशा में कार्य हो सके।
एसपी संजीव कुमार गांधी ने कहा कि पुलिस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की तथ्य आधारित निष्पक्ष जांच सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने सभी जांच अधिकारियों को निर्धारित समय में निष्पक्ष जांच पूर्ण करने के निर्देश दिए और चेतावनी दी कि लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
जिला न्यायवादी मुक्ता कश्यप, एएसपी नवदीप सिंह, जिला कल्याण अधिकारी कपिल शर्मा, डीएसपी विजय रघुवंशी, शक्ति, प्रणव चौहान, नरेश शर्मा और अन्य अधिकारी व गणमान्य व्यक्ति।