December 27, 2024

पर्यावरण के रक्षक — हमारे पेड़ पौधे: डॉ कमल के प्यासा

Date:

Share post:

डॉ कमल के ‘प्यासा’, पंजाब

आज विश्व भर में त्राहि त्राहि और हाय तौबा मची है।कहीं जंगल धधक रहे हैं, कहीं समुद्री तूफानों व जलजलों की तबाही है, कहीं भारी बाढ़ का कैहर मचा है। गाड़ियां, घर, मकान, बहे जा रहे हैं, बादल फट रहे हैं, पहाड़ खिसक रहे है। लोग मकान सब मलबे में दब रहे हैं, कहीं भूचाल तो कहीं ज्वालामुखी कैहर ढह रहे हैं। कहीं पड़ोसी देशों की आपसी लड़ाईयों से तबाही के मंजर साथ ही साथ कई प्रकार के दूषित पदार्थ व गैसे, समस्त जैव जगत को अपने करूर पंजों में जकड़े जा रहे हैं। इस तरह ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हमारा विकास ही हमारे विनाश का कारण बन चुका है। इस लिए प्रगति और विकास के साथ ही साथ मानवतावादी, सामाजिक मूल्यों की ओर भी ध्यान देना होगा तभी हम एक सुंदर आदर्शवादी, प्राकृतिक व अध्यात्मवादी परिस्थितिक तंत्र का गठन कर सकते हैं।

हम अक्सर हर मौसम में, जैसे कि सर्दी का मौसम आता है तो कहते हैं, इस बार तो अत्यधिक ठंड है, बहुत ठंडी हवा है, धुन्ध बहुत पड़ने लगी है, पानी बहुत ही ठंडा है आदि आदि। फिर जब गर्मी पड़ती है तो कहते हैं इस बार तो गर्मी ने हद ही कर रखी है,हवा तो बिल्कुल चलती ही नहीं… पानी की भी किल्लत हो रही है और बिजली का तो पूछो ही नहीं, सारा सारा दिन पसीना पोंछते रह जाते हैं। ऐसे ही जब बरसात आती है तो कहते हैं, इस बार तो बारिश ने न ही करवा रखी है। कितनी जगह तो बादल फट चुके हैं, पहाड़ खिसक रहे हैं, सड़के टूट रही हैं, कितने ही मकान मलबे के साथ नदी नालों में बह गए और न जाने कितने लोग अपनी जान गवां बैठे, कितने बेचारे बाढ़ साथ बह गए… किस्से खबर है!

इन सभी के साथ ही साथ कई प्रकार की अन्य प्राकृतिक आपदाओं, आंधी तूफानों, जलजलों, भूकंपों, ज्वालामुखियों के फटने, जंगलों के जलने, सड़क हादसों व अन्य ऐसे कई तरह के विनाशों से भी भारी जान माल की हानि अक्सर देखने को मिल ही जाती है।

लेकिन आज के इस विकासशील वैज्ञानिक युग में विकास को विराम तो नहीं दिया जा सकता न, ये तो ऐसे ही चलता रहे गा, हां हमें अपनी सोच बदलनी होगी। विकास के साथ आगे बढ़ते रहने, लम्बे व खुशहाल जीवन के लिए अपने पारिस्थितिक तंत्र को हरा भरा बनाए रखना होगा। जिसके लिए, पेड़ों के कटान को रोक कर नए नए पेड़ पौधों का रोपण करना होगा। पेड़ पौधे जहां हमें ऑक्सीजन देकर हमारे जीवन को बचाने में अपनी अहम भूमिका निभाने हैं, वहीं मौसम में बदलाव लाने, वर्षा लाने, अपनी जड़ों द्वारा मिट्टी को बहने से रोकने, ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव को कम करने तथा ताप में होने वाली वृद्धि को घटाने भी हैं। यही पेड़ पौधे समुद्रों के पानी की वृद्धि रोकने में भी अपनी विशेष भूमिका निभाते हैं। वातावरण में जब जब जरूरत से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड हो जाती है तो उसे भी यही पेड़ पौधे अवशोषित कर लेते हैं। जिससे हमारा पर्यावरण प्रदूषित होने से बच जाता है। पेड़ों के अधिक होने या इनकी संख्या के बढ़ने से, हमारे जीव जंतुओं की संख्या के साथ ही साथ उनकी विविधता में भी वृद्धि होती है। जिससे आगे आहार चक्कर भी ठीक रूप से चलता है और पर्यावरण में संतुलन बना रहता है।

पर्यावरण के साफ सुथरा रहने से सभी ओर उचित पारिवारिक विकास होता है, जिससे सामुदायिक खुशहाली और एक दूसरे के प्रति स्नेह भी बढ़ता है। साथ ही एक स्वस्थ्य समाज का निर्माण होता है और आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है।

इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुवे ही तो, पौराणिक साहित्य में भी पेड़ पौधों को जीवन का आधार बताया गया है और कहा गया है कि इनसे (पेड़ पौधों से) सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। तभी तो कुछ एक पेड़ पौधों का पूजा पाठ में विशेष रूप से उपयोग भी किया जाता है। पीपल के पेड़ को देवता के रूप में पूजा जाता है और इस में देवताओं का वास बताया जाता है। वास्तव में यह पेड़ कार्बन डाईऑसाइड की भारी मात्रा को ग्रहण करता है और ऑक्सीजन को छोड़ता है, इसी लिए इसका पुराणों में महत्व बताया गया है। शुद्धता और पवित्रता के प्रतीक होने के कारण ही पेड़ पौधों को मंदिर परिसरों व पवित्र स्थानों पर लगाने के बारे में भी कहा गया है, जिसके लिए इन पौधों (मदार, चंदन, बेल, अंबाला केला, धूब, हारश्रिंगार, तुलसी व शम्मी आदि) को लगाने की चर्चा की गई हैं। इन्हीं पेड़ पौधों के असंख्य कार्य भी सभी जीवधारियों के लिए विशेष महत्व रखते हैं। क्योंकि इनका कोई न कोई और कहीं कहीं तो सभी भाग ही जीव जंतुओं द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं। अर्थात इनकी जड़े, तना, पत्ते, फूल, फल व छाल तक प्रयोग में लाई जाती है। इस तरह इनसे हमें विभिन्न प्रकार केअन्न, फल, फूल, सब्जियां, कंद मूल, मिठास (चीनी गुड़), गर्म मसाले, जड़ी बूटियां, पेय पदार्थ (चाय कॉफी), रंग, इमारती व जलाने की लकड़ी तथा कपड़ा बनाने के लिए रुई व सन जैसा रेशा तक प्राप्त होता है।

जहां पेड़ पौधे हमारे दैनिक जीवन व अन्य गतिविधियों से जुड़े हैं, वहीं आज विश्व की आने वाली अनेकों प्रलयकारी आपदाएं, जिनसे हमारे पर्यावरण व जन जीवन को आए वर्ष भारी नुकसान उठाना पड़ता है, का समाधान इन्हीं पेड़ पौधों के रोपण से ही किया जा सकता है।

आज ग्लोबल वार्मिंग के कारण जहां विश्व के तापमान में 1.2 डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि हो चुकी है, जिससे ग्लेशियरों के पिघलने की दर में वृद्धि ही हो रही है। साथ में कार्बनडाइऑक्साइड की भी 50% की वृद्धि हो चुकी है फिर तापमान का बढ़ना तो स्वाभाविक ही हो जाता है। यदि यह सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो फिर इन विनाशों व प्राकृतिक आपदाओं से बचना मुश्किल हो सकता है। इसलिए आज की प्राथमिक आवश्यकता अपने पर्यावरण को बचाने की ही बनती है जिसके लिए समस्त विश्व को मिलजुल कर आगे आना होगा तथा पेड़ पौधों को हर पर्व व त्योहार के अवसर पर रोप कर इस परम्परा को अपनाना होगा। तभी हम इस ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से मुक्ति पा सकते हैं और अपनी अमूल्य संपदा व खुद को बचा सकते हैं।

Daily News Bulletin

Keekli Bureau
Keekli Bureau
Dear Reader, we are dedicated to delivering unbiased, in-depth journalism that seeks the truth and amplifies voices often left unheard. To continue our mission, we need your support. Every contribution, no matter the amount, helps sustain our research, reporting and the impact we strive to make. Join us in safeguarding the integrity and transparency of independent journalism. Your support fosters a free press, diverse viewpoints and an informed democracy. Thank you for supporting independent journalism.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

BBSSL: Pioneering Seed Preservation in India

Union Home Minister and Minister of Cooperation Amit Shah chaired a review meeting of Bhartiya Beej Sahkari Samiti...

जुब्बल नावर कोटखाई क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम, 25 लाख की लागत से बनेगा विद्यालय भवन

शिक्षा मन्त्री रोहित ठाकुर आज जुब्बल क्षेत्र के सरस्वती नगर पंचायत के अंतर्गत चंद्रपुर गाँव में थे, जहाँ...

‘Ek Bharat Shreshtha Bharat’ Scheme Strengthens Unity Among Youth

In a vibrant exchange of ideas and experiences, students from the National Institute of Technology (NIT) Hamirpur and...

ललित कला अकादेमी की चित्रकला प्रदर्शनी: 49 कलाकृतियों की चित्रकला प्रदर्शनी

ललित कला अकादेमी, जो भारतीय कला और संस्कृति के संवर्धन में अग्रणी भूमिका निभा रही है, ने अपनी...