कीक्ली रिपोर्टर, 16 मई, 2018, शिमला

निजी स्कूलों में भी बैग फ्री व्यवस्था किये जाने की भी उठी मांग !

प्रदेश शिक्षा विभाग ने सरकार द्वारा स्कूलों में किये जाने वाले बदलाव को लेकर दिए गए सरकारी निर्देशों को जल्द पूरा किये जाने को कहा है । शिक्षा विभाग ने जिला उपनिदेशकों व् स्कूल प्रधानाचार्यों को बजट के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा की गयी स्कूली घोषणाओं को जल्द लागू किये जाने के निर्देश दिए हैं । सरकार ने स्कूलों को बुक डूनेशन,जॉय ऑफ़ लर्निंग सेशन करवाए जाने के साथ साथ माह के अंतिम शनिवार को बैग फ्री किये जाने को कहा है जिसे जमीनी स्तर पर लागु करवाने के मकसद से शिक्षा विभाग ने अब कडा रुख इख़्तियार कर लिया है ।

सरकार द्वारा इस व्यवस्था को लागु किये जाने के पीछे छात्रों स्ट्रेस से फ्री रखना और किताबों के अतिरिक्त अन्य जानकारी उपलब्ध करवाना है, ताकि छात्रो को स्कूलों में किताबी जानकारी के अलावा देश दुनिया की जानकारी भी हासिल हो सके ।

इस कड़ी में शिक्षा विभाग ने जॉय ऑफ़ लर्निंग सेशन में पड़ने-पढ़ाने के तरीकों को खेल से जोड़ने को कहा है ताकि छात्रो में पड़ने के प्रति दिलचस्पी बनी रहे । विभाग ने स्कूलो को प्रश्नोत्तरी, संसद के आयोजन और ICT लैब में ऑडियो और विसुअल के इस्तेमाल को भी कहा है, इसके साथ ही सरकार ने स्कूलों को बुक डूनेशन को भी अनिवार्य किया है, योजना के तहत हर वर्ष छात्रों से पुरानी किताबे इकठी कर स्कूल में जमा करवानी होगी ताकि दूसरे छात्र इन्हें उपयोग में ला सके इसके साथ ही विभाग ने प्रत्येक माह के चौथे शनिवार को बैग फ्री किया है, अब 1 से 8 तक पड़ने वाले सरकारी स्कूलों के छात्र बिना बैग के स्कूल आएंगे और पढ़ाई न कर अन्य गतिविधियों का आनंद लेंगे।

उधर सरकार के  इस निर्णय से निजी स्कूलों में पड़ने वाले बच्चों के अभिभावक वर्ग को भी निजी स्कूलों में बदलाव की आस जगी है । निजी स्कूलो में पड़ रहे छात्रों के 10 से 15 किलो के भारी भरकम बैगस से परेशान अभिभावको ने सरकार से निजी स्कूलों को भी इस व्यवस्था के अंतर्गत लाये जाने की गुहार लगाई है ।

राजधानी के विभिन्न स्कूलो में पड़ने वाले छात्र छात्राओं के अभिभावको, किरण, कंचन, रेनू, पूजा ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से निजी स्कूलों को भी ये आदेश जारी किये जाने की मांग उठाई है । अभिभावक किरण वर्मा ने कहा की छोटे छोटे बच्चों को किताबों से भरे भारी भरकम बैग्स उठाने के चलते खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है जिससे न केवल छात्र बल्कि भारी बस्तों को उठाना उन्हें बुरी तरह थका देता है, और इससे निजात पाने के लिए अभिभावको को भारी बस्तों का भोझ धोने के लिए मजबूर होना पड़ता है इस बारे में सरकार को सोचने की जरुरत है और निजी स्कूलो को सख्त निर्देश दिए जाने की आवश्यकता है । अब देखना होगा की इस मांग पर सरकार क्या और कितनी जल्द कुछ सकारात्मक कदम उठती है I

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