हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के चौड़ा मैदान में पिछले कई दिनों से 2174 वोकेशनल शिक्षक न्याय की गुहार लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये शिक्षक राज्य के सरकारी स्कूलों में निजी कंपनियों के माध्यम से सेवाएं दे रहे हैं, और अब ये सरकार से स्थायी रोजगार और शिक्षा विभाग में समायोजन की मांग कर रहे हैं।

शिक्षकों का कहना है कि निजी कंपनियों के अधीन कार्य करते हुए उन्हें मानसिक, आर्थिक और शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ रहा है। वे चाहते हैं कि उन्हें सीधा शिक्षा विभाग के अंतर्गत नियुक्त किया जाए, जिससे उन्हें सम्मानजनक और सुरक्षित नौकरी मिल सके।
80 हज़ार छात्रों की पढ़ाई पर असर
इन शिक्षकों के आंदोलन के चलते प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 80,000 छात्रों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। ये शिक्षक स्किल डेवलपमेंट और वोकेशनल एजुकेशन का अहम हिस्सा हैं, जिनके बिना व्यावसायिक शिक्षा का स्तर गिर सकता है।
डॉ. मामराज पुंडीर ने उठाई आवाज़
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पूर्व प्रांत महामंत्री डॉ. मामराज पुंडीर ने सरकार से मांग की है कि अपने चुनावी मेनिफेस्टो के अनुसार इन शिक्षकों को शिक्षा विभाग में समायोजित किया जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से आग्रह किया है कि इन शिक्षकों की आवाज़ को सुना जाए और उन्हें जल्द से जल्द न्याय दिया जाए।
डॉ. पुंडीर ने कहा कि ये शिक्षक प्रदेश की शिक्षा प्रणाली की रीढ़ की हड्डी हैं और इनकी अनदेखी करना छात्रों के भविष्य के साथ अन्याय है।
सरकार से मांग: हटाएं निजी कंपनियां, दें स्थायी नियुक्ति
धरना दे रहे वोकेशनल शिक्षकों की प्रमुख मांग है कि सरकार निजी कंपनियों की भूमिका समाप्त करे और उन्हें सीधी सरकारी नियुक्ति प्रदान करे। उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों में समान कार्य के लिए समान अधिकार मिलना चाहिए।